खोजी पत्रकारिता के एस गुरुमूर्ति

By: Feb 7th, 2018 12:07 am

गुरुमूर्ति एक चिंतक के रूप में दूसरों को सहज ही यह एहसास कराते हैं कि भारतीय होना अपने आप में एक उपलब्धि है और भारतीय संस्कृति व परिवार व्यवस्था का कोई सानी नहीं है। गुरुमूर्ति तमिलनाड़ु में काफी प्रसिद्ध हैं। गुरुमूर्ति ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। उनके गुरु स्वामी चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि वह जनता की सेवा करें, पर कभी राजनीति में न जाएं…

एस गुरुमूर्ति या स्वामीनाथन गुरुमूर्ति एक खोजी पत्रकार और चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। गुरुमूर्ति का जन्म 6 फरवरी,1949 को चेन्नई से 160 किलोमीटर दूर पानमपेट नामक गांव में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में ही हुई। उच्च शिक्षा रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कालेज, चेन्नई से प्राप्त की। रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कालेज, चेन्नई की स्थापना 21 जून, 1946 को हुई। गुरुमूर्ति का सपना वकील बनने का था, पर वह चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गए। पढ़ाई से चार्टर्ड अकाउंटेंट गुरुमूर्ति इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामानाथ गोयनका के सलाहकार रह चुके हैं। गोयंका 72 साल के हुआ करते थे और गुरुमूर्ति 27 साल के। गोयंका ने ही गुरुमूर्ति को धीरूभाई अंबानी की तेज तरक्की की पड़ताल करने के काम में लगाया था। गुरुमूर्ति इस काम में बहुत कामयाब रहे और रिलायंस को असलियत उजागर होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। गुरुमूर्ति का चरित्र मणिरत्नम की फिल्म गुरु में भी पत्रकार श्याम के रूप में सामने आता है। गुरु में गुरुमूर्ति की भूमिका को अभिनेता माधवन ने निभाया है।

बोफोर्स मामले में गुरुमूर्ति

बोफोर्स के मामले में भी गुरुमूर्ति की खोजी पत्रकारिता जासूसी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। उन्होंने भारत सरकार की नाक में दम कर दिया और परिणामस्वरूप वह जेल भी गए। गुरुमूर्ति आज हमारे बीच एक ऐसे पत्रकार के रूप में हैं, जिन्हें आदर्श माना जा सकता है। हालांकि पत्रकार उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंट ज्यादा मानते हैं, जबकि चार्टर्ड अकाउंटेंट उन्हें पत्रकार के रूप में देखते हैं। भारतीय नेताओं और बिजनेसमैनों द्वारा विदेशों में जमा करवाए गए काले धन को वापस लाने वाली टास्क फोर्स के गुरुमूर्ति संयोजक रहे हैं और उन्होंने काला धन वापस लाने के लिए विभिन्न सरकारों पर भी दबाव बनाया। स्वदेशी जागरण मंच के एक संयोजक और एक शुद्ध भारतीय चिंतक के रूप में गुरुमूर्ति आदर के प्रतीक हैं। गुरुमूर्ति एक चिंतक के रूप में दूसरों को सहज ही यह एहसास कराते हैं कि भारतीय होना अपने आप में एक उपलब्धि है और भारतीय संस्कृति व परिवार व्यवस्था का कोई सानी नहीं है। गुरुमूर्ति तमिलनाड़ु में काफी प्रसिद्ध हैं। गुरुमूर्ति ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। उनके गुरु स्वामी चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि वह जनता की सेवा करें, पर कभी राजनीति में न जाएं। सपना वकील बनने का था, पर बन गए चार्टर्ड अकाउंटेंट। वह चार्टर्ड अकाउंटेंट से अधिक एक पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं।


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