गुरभजन का देहदान करने का निर्णय

By: Feb 19th, 2018 12:05 am

गगरेट  — आपने यह तो सुना होगा कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पूरे कर्मकांड के साथ अंतिम संस्कार न हो तो उस व्यक्ति की आत्मा भटकती रहती है, लेकिन कुछ विरले लोग ऐसे भी हैं जो अपनी मृत्यु के बाद भी मानवता की सेवा को अपना शरीर समर्पित करते हैं। ऐसे ही ग्राम पंचायत गगरेट के एक शख्स ने अपने जीते-जी अपनी मृत्यु के बाद स्वेच्छा से अपनी देहदान करने का निर्णय लिया है। ग्राम पंचायत अप्पर गगरेट के गुरभजन सिंह ने बकायदा शपथ-पत्र दायर कर इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज शिमला में अपनी देहदान करने के लिए खुद को पंजीकृत करवाया है। बकौल गुरभजन सिंह मृत्यु के बाद किसे स्वर्ग मिलता है और किसे नर्क मिलता है यह किसने देखा लेकिन इस दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जिनकी आंखें न होने के चलते उनकी जिंदगी में अंधकार फैला हुआ है। यही नहीं बल्कि कई लोग ऐसे हैं जिन्हें समय पर प्रर्त्यपण के लिए प्रमुख अंग नहीं मिलते। अगर उनके शरीर का एक अंग भी किसी के काम आ सके तो वह अपना इस दुनिया में आना सफल समझेंगे। उन्होंने कहा कि मृत्यु के बाद कर्मकांड न होने से आत्मा नहीं भटकेगी बल्कि अगर जीवन जीवन में आकर किसी के काम न आ सके तो आत्मा का भटकना निश्चित है। गुरभजन सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी देह दान करने के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और इसके बाद आईजीएमसी शिमला से उन्हें प्रमाण पत्र भी जारी हो चुका है। प्रमाण पत्र मिलने के बाद उन्हें आत्मिक शांति की अनुभूति हो रही है। गुरभजन सिंह की इस पहल की सर्वत्र चर्चा है। देहदान करने का संकल्प लेने वाले गुरभजन सिंह को अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए पहले परिवार वालों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। गुरभजन सिंह की मां व पत्नी को उनकी इस इच्छा का पता चला तो उन्होंने भी उसे ऐसे मुक्ति न हो पाने की बात कही थी लेकिन जब गुरभजन सिंह ने उन्हें बताया कि मानवता की सेवा ही हर व्यक्ति का जीवन का उद्देश्य होना चाहिए और उन की मौत शायद किसी को जिंदगी बख्श दे तब जाकर उनके पारिवारिक सदस्य राजी हुए।


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