चहेतों की पदोन्नतियां बचाने को सरकार ने लुटा दिए 20 लाख

By: Feb 18th, 2018 12:05 am

शिमला— पूर्व वीरभद्र सरकार द्वारा अपने 46 सरकारी वकील तैनात किए जाने के बावजूद बड़े केस लड़ने के लिए निजी वकीलों को लाखों की फीस अदा की जाती रही। अब जयराम सरकार ने इसकी जांच शुरू कर दी है। ऊपर से नीचे तक सभी फाइलें पलटी जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक वीरभद्र सरकार द्वारा वरिष्ठता को दरकिनार कर जिस एक अतिरिक्त मुख्य सचिव को मुख्य सचिव के पद पर तैनात किया गया था, उसे चुनौती देने वाले मामले में ही पूर्व मुख्य सचिव द्वारा कैट में अपना केस लड़ने के लिए निजी वकील किया गया, जिसकी फीस सरकार द्वारा अदा की गई। यही नहीं, इसी मामले में सरकार ने भी जो वकील किया था, उसकी फीस भी सरकार द्वारा ही अदा की गई। अब तक 20 लाख रुपए की रकम इसी मद में जारी की जा चुकी है। बताया जाता है कि अब जयराम सरकार ने जब से इस मामले की जांच शुरू की है, तभी से इन निजी वकीलों को ऐसे मामलों से अलग रहने के लिए कहा गया है। यानी वे यदि प्रतिवादी का केस लड़ना चाहते हैं तो उन्हें पूर्व मुख्य सचिव से ही फीस वसूलनी होगी। पूर्व वीरभद्र सरकार द्वारा महाधिवक्ता के अलावा 46 अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता व सहायक अधिवक्ता तैनात किए गए थे। इनका कार्य सरकार केसों के साथ-साथ विभिन्न विभागों व संबधित मामलों की पैरवी करना ही था। सवाल यह उठ रहे हैं कि जब कैट में निजी मामले को लेकर पूर्व मुख्य सचिव पहुंचे थे तो फिर इस मामले की लाखों की रकम जो 20 लाख से भी ज्यादा की बनती है, वह सरकारी खजाने से क्यों जमा करवाई गई। सूत्रों का दावा है कि बाकायदा इसके लिए वित्त विभाग व सरकार की मंजूरियां ली गई, जिसके पीछे तर्क यह दिया गया कि सरकार ने ही उन्हें जब तैनातगी दी है तो फिर वह निजी वकील पर पैसे भी क्यों खर्चें। यह मामला तो सरकार का ही बनता है। बहरहाल, इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। चर्चाओं के अनुरूप ऐसे ही कई मामलों में लाभ हासिल करने वाले अफसरों से रिकवरी भी हो सकती है। इस मामले ने पूर्व सरकार की किरकिरी  करनी जरूर शुरू कर दी है, जिसमें फिजूलखर्ची को लेकर यह पहला बड़ा मामला जयराम सरकार के 50 दिन के कार्यकाल के दौरान सामने आया है। उधर, वरिष्ठता को दरकिनार कर जिन अधिकारियों को ऊंचे ओहदों पर तैनातगियां दी गई थीं, उन्हें चुनौती देने वाले वरिष्ठ व योग्य अफसरों द्वारा अपने मामले लड़ने के लिए अपने स्तर पर निजी वकील किए गए, मगर सरकार ने आखिर नियमों को दरकिनार कर पदोन्नत किए गए अधिकारियों पर इतना बड़ा रहम क्यों बरता, इसे लेकर अब मुद्दा बन रहा है। जाहिर तौर पर वर्ष, 2019 के चुनावों के लिए जयराम सरकार के हाथों में यह किसी बड़े बारूद से कम नहीं होगा।

एक मामला, चार चार लड़ने वाले

जानकारी मिली है कि पूर्व मुख्य सचिव से जुड़े मामले में पूर्व मुख्य सचिव व सरकार की तरफ से एक ही मामले में चार-चार निजी वकील पेश होते रहे, जिन्हें प्रति पेशी साढ़े तीन व डेढ़ लाख की दर से अदायगी होती रही। अब इन पर रोक लगाए जाने की सूचना है।

सुप्रीम कोर्ट के लिए खर्च कम नहीं

आरोप यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट में कुछ ऐसे वकील तैनात किए गए, जिन्होंने कई निजी केसों की पैरवी तो की, मगर महकमों की नहीं। इसी वजह से कई मामले अपील में ही लटके रहे। बावजूद इसके उन्हें लाखों की रकम मिलती रही। आखिर ऐसे कदम क्यों कर उठाए गए, यह जांच चल रही है।


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