जीरो बजट कृषि के पुरोधा डा. सुभाष पालेकर

By: Feb 14th, 2018 12:07 am

सुभाष पालेकर एक भारतीय कृषक एवं कृषि विशेषज्ञ हैं। उन्होंने शून्य बजट आध्यात्मिक कृषि के बारे में अभ्यास किया है और कई पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने शून्य बजट प्राकृतिक ;आध्यात्मिक कृषि का आविष्कार किया है और ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें कृषि  करने के लिए न ही किसी रासायनिक कीटनाशक का उपयोग किया जाता और न ही बाजार से अन्य औषधियां खरीदने की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने भारत में इस विषय पर कई कार्यशालाओं का आयोजन किया है। उन्हें वर्ष 2016 का भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

शिक्षा और व्यवसाय

सुभाष पालेकर का जन्म 2 फरवरी, 1949 में भारत में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में बेलोरा नाम के एक छोटे से गांव में हुआ। उन्होंने नागपुर से कृषि  विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। कृषि विश्वविद्यालय नागपुर की स्थापना 18 मई, 1972 को हुई। कालेज की शिक्षा के दौरान उन्होंने सतपुड़ा आदिवासी क्षेत्र में जाकर उनकी समस्याओं के बारे में आदिवासियों के साथ काम किया। पढ़ाई के बाद वर्ष1972 में वह अपने पिता के साथ कृषि करने लगे। उनके पिता एक किसान थे, लेकिन कालेज में रासायनिक कृषि सीखने के बाद पालेकर जी ने अपनी कृषि में रासायनिक कृषि करना शुरू किया। वर्ष 1972-1990 से अभ्यास करते समय वह मीडिया में इस विषय पर लेख भी लिखते थे। वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि धरती अन्नपूर्णा है और इसमें पोषणता बनी रहे, इसकी व्यवस्था प्रकृति करती रहती है, बशर्ते हम उसमें बाधक न बनें।  जीरो बजट प्राकृतिक कृषि के संदर्भ को सामने लाने का श्रेय डा. सुभाष पालेकर को जाता है।


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