तनाव से मुक्त जीवन

By: Feb 10th, 2018 12:05 am

श्रीश्री रविशंकर

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन के साथ दुर्घटना हुई और वे अस्पताल में थे। शरीर के हरेक अंग की कोई न कोई हड्डी टूटी थी। उनके सारे चेहरे पर पट्टियां बंधी हुई थीं। केवल उनकी आंखें दिख रही थीं। उनके एक मित्र उन्हें मिलने आए और उनसे पूछा,कैसे हो मुल्ला, उन्होंने कहा, मैं ठीक हूं सिवाय इसके कि जब मैं हंसता हूं तो दर्द होता है। तब उनके मित्र ने उनसे पुछा,भला, इस हालत में आप हंस कैसे सकते हैं। मुल्ला ने जवाब दिया, अगर मैं अब न हंसू तो मैं जिंदगी में कभी हंस नहीं पाऊंगा। ये अविरत उत्साह संपूर्ण स्वास्थ्य में रहने का आयाम है।

तनाव क्या है – जब तुम तनाव में होते हो, तब तुम्हारो भौहें चढ़ जातीं हैं। जब तुम इस तरह त्यौरी चढ़ाते हो, तब तुम चेहरे की 72 नसें और मांसपेशियां उपयोग में लाते हो, लेकिन जब तुम मुस्कराते हो तब उन में से केवल 4 का उपयोग करते हो। अधिक कार्य का अर्थ है अधिक तनाव। तनाव तुम्हारी मुस्कान को भी गायब कर देता है। तुम्हारी बॉडी लैंग्वेज तुम्हारी मानसिक स्थिति और शारीरिक तंत्र की ऊर्जा का संकेत दे देती है। हम एक ऊर्जा के बादल में संपुटित हैं, जिसे चेतना कहते हैं। ये एक मोम बत्ती और बाती जैसा है। जब तुम मोम बत्ती पर माचिस की तीली लगाते हो, तो बाती पर ज्योत प्रकट होती है। मोमबत्ती में भी वही हाइड्रोकार्बन है, लेकिन जब उसे प्रज्वलित किया जाता है, तब ज्योति केवल उसकी चोटी पर टिमटिमाती है। इसी तरह हमारा शरीर मोमबत्ती की बाती की तरह है और इसके आसपास जो है वह चेतना है, जो हमें जीवित रखती है। तो हमें अपने मन और आत्मा का ध्यान रखना है। हमारे अस्तित्व के 7 स्तर हैं। शरीर, श्वास, मन, बुद्धि, स्मृति, अहम और आत्मा। मन तुम्हारी चेतना में विचार और अनुभूति की समझ है जो निरंतर बदलते रहते हैं। आत्मा हमारी अवस्था और अस्तित्व का सूक्ष्मतम पहलू है और मन और शरीर को जो जोड़ती है वह हमारी सांस है। सब कुछ बदलता रहता है, हमारा शरीर बदलाव से गुजरता है, वैसे ही मन, बुद्धि, समझ, धारणाएं, स्मृति, अहम भी। लेकिन ऐसा कुछ है तुम्हारे भीतर जो नहीं बदलता और उसे आत्मा कहते हैं, जो कि सब बदलावों का संदर्भ बिंदु है। जब तक तुम इस सूक्ष्मतम पहलू से नाता नहीं जोड़ोगे, आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति के अनुसार तुम एक स्वस्थ व्यक्ति नहीं माने जाओगे। स्वास्थ्य की दूसरी निशानी है, सचेतता, सतर्क और जागरूक रहना। मन की 2 स्थितियां होतीं हैं, एक तो शरीर और मन साथ में और दूसरा शरीर और मन भिन्न दिशाओं की ओर देखते हुए, कभी जब तुम तनाव में हो, तब भी तुम सतर्क रहते हो, लेकिन यह ठीक नहीं है। तुम सतर्क और साथ ही तनाव मुक्त भी होने चाहिए, इसी को ज्ञानोदय कहते हैं। भावनात्मक अस्थिरता तनाव होने के कारणों में से एक है। हरेक भावना के लिए हमारी श्वास में एक विशेष लय है। धीमे और लंबे श्वास आनंद और उग्र श्वास तनाव का संकेत देते हैं। जिस तरह से एक शिशु श्वास लेता है वह एक वयस्क के श्वास लेने के तरीके से भिन्न है। यह तनाव ही है जो एक वयस्क की श्वसन पद्धति को भिन्न बनाती है। हम अपना आधा स्वास्थ्य संपत्ति कमाने में खर्च कर देते हैं और फिर हम वह संपत्ति स्वास्थ्य को वापिस सुधारने में खर्च कर देते हैं। यह किफायती नहीं है। अगर कोई छोटी-मोटी असफलता आ जाए तो फिक्र मत करना, तो क्या हुआ। हरेक असफलता एक नई सफलता की ओर बड़ा कदम है। अपना उत्साह बढ़ाओ।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App