नई आबकारी पालिसी पर ठेकेदारों से लिए सुझाव

By: Feb 3rd, 2018 12:45 am

शिमला –प्रदेश की नई आबकारी पालिसी का खाका तैयार हो रहा है। शनिवार को धर्मशाला में होने जा रही कैबिनेट की बैठक में सरकार एल-1 और एल-13 लाइसेंस पुनः खोलने की मंजूरी दे सकती है, जिससे पहले यहां आबकारी पालिसी पर अधिकारियों ने शराब कारोबारियों के साथ दो दिन तक मंथन किया। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार गुरुवार और शुक्रवार को हुई बैठकों में न केवल शराब ठेकेदारों के साथ नई पालिसी पर चर्चा की गई, वहीं बॉटलिंग प्लांट्स के मालिकों से भी बातचीत की गई है। सभी ने नई पालिसी को लेकर सुझाव दिए, वहीं खुशी जताई है कि प्रदेश में बिवरेज लिमिटेड को बंद कर दिया गया है। सरकार द्वारा पुरानी पालिसी में बदलाव करने और बिवरेज कारपोरेशन बंद किए जाने के फैसले से ये लोग खुश हैं, जिनका कहना है कि पिछली दफा उन पर बड़ी मार पड़ी थी। इस दफा उन्होंने कमियां दूर करने की मांग की है और उम्मीद जताई है कि पालिसी बदलने से शराब कारोबार में भी बढ़ोतरी होगी। धर्मशाला की कैबिनेट में आबकारी पालिसी को लेकर चर्चा की जाएगी। यहां नए लाइसेंसों को मंजूरी देने के साथ नई नीति पर भी चर्चा होगी।  नए लाइसेंस खुलने से प्रदेश में शराब कारोबार बदल जाएगा और यहां पर थोक विक्रेताओं से शराब सीधी खरीदी जा सकेगी। बहरहाल, कैबिनेट की मीटिंग में ही अब आखिरी फैसला होगा।

प्रदेश में पहले था पर्ची सिस्टम

प्रदेश के शराब कारोबारियों ने नई पालिसी के लिए सुझाव दिए हैं, जो कि अगले वित्त वर्ष से प्रदेश में लागू होगी। कुछ शराब ठेकेदारों ने सुझाव दिया है कि पुराने शराब ठेकों का ही नवीनीकरण किए जाने की व्यवस्था की जाए, क्योंकि पिछली दफा भी ये लोग सही ढंग से कारोबार नहीं कर पाए हैं।  कुछेक ने दोबारा ड्रॉ निकालने की प्रणाली शुरू करने की मांग की है। पूर्व में ड्रॉ में पर्ची निकालकर शराब ठेका दे दिया जाता था। इसके अलावा कई लोगों ने टेंडर कम ऑक्शन की व्यवस्था लागू करने के लिए कहा जैसा पहले भी होता रहा है।

…तो पैनल्टी का क्या मतलब

कई लोगों का कहना था कि मिनिमम ग्रांटेड कोटा यदि सौ फीसदी नहीं उठाया जाता है, तो इस पर शराब ठेकेदारों को पैनल्टी नहीं लगनी चाहिए। जब पूरे साल की लाइसेंस फीस दी जा रही है, तो पैनल्टी का औचित्य नहीं है। बैठक में विभाग के प्रधान सचिव जगदीश शर्मा, आयुक्त आर सेलवम, के अलावा जिला अधिकारी, मुख्यालय अधिकारी तथा जिलों के इंचार्ज शामिल रहे।

पीने वाले कम, कोटा भी हो कम

लोगों का कहना था कि शराब का कोटा ज्यादा नहीं होना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में उतनी अधिक संख्या में शराब पीने वाले नहीं है, जितना बड़ा कोटा निर्धारित कर रखा है। उन्होंने कोटा कम करने की मांग की। इसके साथ बार मालिकों को लेकर भी कुछ आपत्तियां जताई गई हैं, जिसमें कहा गया है कि वह लोग मनमर्जी से शराब का कोटा उठाते हैं। अब ठेकेदारोंञ अधिकारियों से सुझाव लिए गए हैं। अब अधिकारी चर्चा कर ही इन्हें लागू करने पर विचार करेंगे।


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