नई तकनीक सीखें

By: Feb 7th, 2018 12:05 am

बलदेव चौहान

उपनिदेशक, रेशमपालन  विभाग, बिलासपुर

रेशम कीट पालन में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने बलदेव चौहान से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

रेशम कीट पालन में युवाओं के लिए करियर का क्या स्कोप है?

रेशम कीटपालन (सेरीकल्चर) में युवाओं के लिए काफी अवसर हैं। इस क्षेत्र में माली/बेलदार, रेशम निरीक्षक और रेशम अधिकारी के पद पर नियुक्त हो सकते हैं।

इस करियर के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या होनी चाहिए?

(1) माली/बेलदारः शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास व दो वर्ष का कीटपालन का अनुभव। (2) रेशम निरीक्षक (अराजपत्रित) किसी मान्यता प्राप्त स्कूल शिक्षा बोर्ड से दस जमा दो की परीक्षा जीव विज्ञान के साथ उत्तीर्ण की हो तथा रेशम उत्पादन में छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स किया हो। (3) रेशम अधिकारी (राजपत्रित) स्नातकोत्तर कृषि/जीव विज्ञान/ वनस्पति/ विज्ञान/ बागबानी/ वानिकी/ बायेटेक/ सेरीकल्चर में स्नातकोत्तर डिग्री के साथ तीन माह का सेरीकल्चर में प्रशिक्षण प्राप्त किया हो या प्रथम क्लास स्नातक कृषि/जीव विज्ञान/वनस्पति विज्ञान/ बागबानी/ वानिकी बायेटेक से तथा तीन माह का सेरीकल्चर में प्रशिक्षण और एक वर्ष का सेरीकल्चर में अनुभव होना चाहिए।

हिमाचल में रेशमकीट पालन बारे कोर्स कहां चलते हैं?

हिमाचल में रेशम कीटपालन के कोर्स क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान संस्थान घुमारवीं, जिला बिलासपुर तथा सर्टिफिकेट इन सेरीकल्चर का कोर्स राज्य रेशम प्रशिक्षण केंद्र घुमारवीं एवं राज्य महाविद्यालय घुमारवीं द्वारा संयुक्त रूप से घुमारवीं  में ही करवाया जाता है।

युवाओं को इस करियर में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

फसल के दौरान खराब मौसम, कीटपालन हेतु कीटपालन गृह, कीटपालन का सामान का अच्छी तरह से विसंक्रमित न होना, वांछित मात्रा में शहतूत के पत्ते/कभी-कभी कोसे/धागे का उचित मूल्य न लगना या रेशमकीट में रोगों के कारण होने वाली हानि आदि कुछ चुनौतियां हैं।

रोजगार के अवसर किन क्षेत्रों में उपलब्ध हैं?

शहतूत पौधशाला की स्थापना (एक बीघा में), शहतूत उद्यान स्थापित करना,चाकी कीटपालन द्वारा, रेशम कीटपालन द्वारा रेशम धागाकरण इकाई स्थापित कर, रेशम बुनाई इकाई और शहतूत की टहनियों से बनने वाला सामान जैसे टोकरी, बैट और सजावटी सामान बनाकर।

आरंभिक आय इस क्षेत्र में कितनी है?

रेशम कीट पालन की मात्रा के आधार पर 15000 रुपए से 20000 रुपए प्रति फसल औसतन तथा रेशम धागाकरण इकाई स्थापित कर 30000 से 40000 रुपए प्राप्त कर सकते हैं। शहतूत नर्सरी में एक एकड़ से 5 लाख की आय अर्जित की जा सकती है।

जो युवा इस करियर में पदार्पण करना चाहते  हैं उन में क्या विशेष गुण होने चाहिए?

नई तकनीक सीखने की चाह, लगन पूर्वक कार्य करने की क्षमता, धैर्य, प्रतिकूल परिस्थितयों में मानसिक संतुलन बनाए रखना और मृदुभाषी होने जैसे गुण युवा में होने चाहिए।

– अश्वनी पंडित, बिलासपुर


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