न कोई शिकायत…न ही आवेदन

By: Feb 18th, 2018 12:05 am

गगरेट की कई पंचायतों में जागरूकता के अभाव के चलते बीपीएल लिस्ट से अनजान हैं निर्धन परिवार

गगरेट – प्रदेश सरकार द्वारा पात्र परिवारों को बीपीएल सूची में स्थान देने के लिए शुरू की गई मुहिम कहीं महज खानापूर्ति बन कर न रह जाए, इस पर संशय बरकरार ही है। इसे जानकारी का अभाव कहें या फिर जागरूकता की कमी कि विकास खंड गगरेट की कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां से न तो गरीब परिवारों का हक डकार रहे लोगों की कोई शिकायत हुई है और न ही किसी पात्र परिवार ने बीपीएल सूची  में अपना परिवार शामिल करवाने के लिए आवेदन किया है। ऐसे में सरकार चाह कर भी पात्र परिवारों को उनका हक नहीं दिला पाएगी। विकास खंड गगरेट में 3075 परिवार बीपीएल की श्रेणी में रखे जा सकते हैं। मौजूदा समय में ग्राम सभाओं की आड़ में कई अपात्र लोग भी बीपीएल श्रेणी में दर्ज होकर गरीब लोगों के लिए चलाई गई सरकारी योजनाओं का लाभ  ले रहे हैं। बेशक इस प्रक्रिया में कई पात्र लोग उनको मिलने वाले लाभों से वंचित रह रहे हैं। हालांकि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा अपात्र परिवारों के नाम बीपीएल सूची से काट कर पात्र परिवारों को इसमें शामिल करने के लिए नब्बे दिन का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन या तो जानकारी के अभाव में या फिर जागरूकता के अभाव में अपात्र परिवारों का नाम कटवा कर पात्र परिवारों का नाम इसमें शामिल करने के लिए कई गांवों के लोग ही आगे नहीं आए हैं। विकास खंड गगरेट के अंतर्गत आने वाली 39 ग्राम पंचायतों में से लगभग नौ पंचायतें ऐसी हैं जहां से बीपीएल सूची से अपात्र लोगों का नाम कटवाने के लिए न तो कोई शिकायत आई है और इन पंचायतों से न ही किसी पात्र व्यक्ति ने बीपीएल सूची में अपना नाम शामिल करवाने के लिए आवेदन किया है। विभाग द्वारा शुरू की गई इस मुहिम के तहत केवल उन्हीं लोगों का नाम बीपीएल सूची में शामिल किया जाएगा जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इन ग्राम पंचायतों में तमाम पात्र लोगों का चयन ही बीपीएल सूची के लिए किया गया है? कहीं ऐसा तो नहीं कि जो साधन संपन्न लोग बीपीएल श्रेणी के परिवारों को मिलने वाले लाभ का फायदा उठा रहे हैं, उन लोगों के डर से लोग अपनी जुवान खोलने से कतरा रहे हैं? एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि बीपीएल परिवारों के चयन के लिए शुरू की गई इस प्रक्रिया का व्यापक प्रचार व प्रसार न होना भी पात्र लोगों तक जानकारी न पहुंचने का एक कारण रहा है।


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