पिछड़ेपन की निशानियों से मुक्त हो चंबा

By: Feb 21st, 2018 12:05 am

आशीष बहल

लेखक, चुवाड़ी, चंबा से हैं

अब जबकि वर्तमान सरकार के ही शासन में हिमाचल को एस्पिरेशनल जिला बनाने की बात कही गई है, तो जिला चंबा को हिमाचल सरकार से भी कुछ विशेष उम्मीदें रहेंगी। इस बार बजट में चंबा की जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा और विशेष सहायता के तौर पर कुछ योजनाओं को चंबा के हिस्से में दिया जाएगा…

हिमाचल के सबसे प्राचीन जिला चंबा, जिसका हजारों साल पुराना समृद्ध और सशक्त इतिहास अतीत के झरोखों से झांक कर खुद को पिछड़ेपन के गर्त में देख रहा है, आखिर वह आधुनिक भारत मे पिछड़ेपन की चादर कैसे ओढ़ बैठा। चंबा को बेशक पिछड़ेपन का तमगा मिल चुका है, परंतु इसे पिछड़ेपन की छवि से मुक्त करने का भी भरसक प्रयास हो रहा है। देश भर में विकास की दौड़ में पिछड़ रहे 115 जिलों की सूची में चंबा 114 वें नंबर पर अटक गया। जिला चंबा के लोग इस दुविधा में हैं कि इसके लिए हम खुशी मनाएं या गम? पिछड़ापन किसी भी हिसाब से पसंद नहीं किया जाता, इसमें कोई दो राय नहीं, परंतु चंबा को अब विशेष सहायता के द्वारा हिमाचल के ही नहीं, बल्कि देश के अग्रणी जिलों में खड़ा करना न सिर्फ केंद्र सरकार की बल्कि यहां के लोगों की भी जिम्मेदारी है।

जिला चंबा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से कभी पिछड़ा नहीं रहा है। हिमाचल में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चंबा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। कुछ लोग इस बात पर भी चर्चा करते सुने गए कि चंबा की भौगोलिक परिस्थितियों ने इसे पिछड़ा बनाया, तो मैं इस पर भी पूरी तरह से इत्तफाक नहीं रखता, क्योंकि जब देश के अन्य सभी भाग अंधेरे की चपेट में थे, तो यहां देश का दूसरा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट स्थापित किया गया था। कोलकाता के बाद बिजली पैदा करने वाला चंबा इकलौता क्षेत्र था और जब दिल्ली ने भी बल्ब को जलते हुए नहीं देखा था, तब 1908 में चंबा बिजली से जगमगाता था। आज उसी चंबा में इतना अंधेरा कैसे पसरा? तब भौगोलिक परिस्थितियां आज की तुलना में कहीं अधिक कठिन थीं, फिर भी विकास की लौ को चंबा तक पहुंचाया गया था।

हां, राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव जिला चंबा के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार हो सकता है। खैर, कारण बहुत से हो सकते हैं, पर अब समय है कुछ सुधारात्मक कदम उठाने का। जब हिमाचल के लिए केंद्र की तरफ से विशेष पैकेज की घोषणा करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा चंबा में भाषण दे रहे थे, तो मुझे भी उन्हें सुनने का सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि चंबा पिछड़ा नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री ने इसे भारत सरकार की एस्पिरेशनल योजना के तहत देश का एस्पिरेशनल जिला घोषित किया है।

अब चंबा के विकास की पंख लगेंगे। यह एक सुकून की भी बात है। जिला चंबा लंबे समय से अपने हक के लिए लड़ता आया है। हिमाचल की राजधानी शिमला से उल्टे छोर पर बसा चंबा दूर से ही हिमाचल को विकसित होते देखता आया है। अब जबकि वर्तमान सरकार के ही शासन में हिमाचल को एस्पिरेशनल जिला बनाने की बात कही गई है, तो जिला चंबा को हिमाचल सरकार से भी कुछ विशेष उम्मीदें रहेंगी। इस बार बजट में चंबा की जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा और विशेष सहायता के तौर पर कुछ योजनाओं को चंबा के हिस्से में दिया जाएगा। चूंकि इस बार मंत्रिमंडल में भी कोई विभाग चंबा के किसी विधायक के पास नहीं है, देखना दिलचस्प होगा कि हर विभाग को मिलने वाली राशि का कितना प्रतिशत चंबा के विकास के लिए खर्च किया जाता है। चंबा की हालत कक्षा के उस बच्चे की भांति है, जिसे पहले टर्म में कम नंबर आए हैं और अब जैसे एक अध्यापक कमजोर छात्र की तरफ अधिक ध्यान देकर उसे कक्षा में प्रथम लाने के लिए प्रयास करता है। वैसे ही हिमाचल के सब मंत्रियों को अब चंबा की तरफ विशेष ध्यान इस बजट में देना होगा। चंबा को यदि सच में एक विकसित जिला बनाना है, तो इसकी खूबियों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। इसमें  सर्वप्रथम यदि पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए, तो चंबा को लाभ मिल सकता है। जिला चंबा में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जो अभी तक पर्यटन की दृष्टि से अनछुए हैं। ऐसे क्षेत्रों को विकसित करने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की जा सकती है। चंबा में हवाई सेवा का आरंभ भी किया जा सकता है। पिछले कई सालों से चंबा को सीमेंट प्लांट स्थापित करने के सुनहरे सपने दिखाए जा रहे हैं, परंतु राजनीतिक विरोधाभासों के कारण इसे फलीभूत नहीं किया जा सका। अब जबकि जिला चंबा हिमाचल और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार और उसी पार्टी के सांसद मौजूद हैं, तो चंबा के लोगों को सिकरिधार सीमेंट प्लांट का कार्य पूरा होने का भी भरोसा मिलना चाहिए। अगर हम विकास की परिभाषा को समझें तो विकास मात्र किसी विशेष सेवा का आरंभ कर देने तक ही सीमित नहीं है। विकास का तात्पर्य है लोगों के जीवन स्तर में सुधार। यदि हम सुविधाएं मुहैया करवा दें परंतु जीवन स्तर में सुधार न हो, तो विकास अधिक देर तक टिक नहीं सकता। इस बार बजट में जो गांव सड़क से अछूते रहे हैं, उन तक सड़क पहुंचाने का प्रबंध हो। खराब पड़ी सड़कों की हालत को सुधारने के लिए भी विशेष सहायता का प्रावधान किया जाना चाहिए। चम्बा के युवाओं को नौकरी में विशेष छूट मिले। चंबा में रोजगार के अवसर बढ़ें, इसके लिए चंबा में खाली पड़े सब पदों को युद्धस्तर पर भरा जाए।

चंबा की ऐतिहासिक और कलात्मक तस्वीर दुनिया के सामने रखकर चंबा की उम्मीदों को पंख लग सकते हैं। चंबा की रूमाल कला, जो कि विश्व प्रसिद्ध है, को स्वरोजगार का अवसर बनाया जा सकता है। चंबा की चित्रकला भी एक जरिया हो सकती है। इन सबको पर्यटन और रोजगार के रूप में विकसित करने के लिए विशेष सहायता हिमाचल सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा सकती है। इस बार बजट से चंबा को बहुत उम्मीदें हैं। आइए, सब मिलकर चंबा को देश के अग्रणी जिलों की श्रेणी में खड़ा करें।


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