फिर नौकरियों का भरोसा देगा बजट

By: Feb 1st, 2018 12:11 am

जेटली आज पेश करेंगे देश का 88वां बजट, राष्ट्रीय रोजगार नीति की घोषणा कर सकती है सरकार

नई दिल्ली— देश के 25वें वित्त मंत्री अरुण जेटली गुरुवार को देश का 88वां बजट पेश करेंगे। पहली फरवरी को पेश किया जाने वाला बजट मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा,लिहाजा फोकस उन मुद्दों पर देखा जा सकेगा,जो आम आदमी से जुड़े हों। राष्ट्रीय रोजगार नीति की घोषणा की जा सकती है। करों में रियायतें दी जा सकती हैं। न्यूनतम मजदूरी भी 18000 से 21000 रुपए के बीच की जा सकती है। चूंकि देश के मध्यवर्ग की मोदी सरकार से ढेरों अपेक्षाएं हैं, लिहाजा बजट का झुकाव लोक लुभावना हो सकता है। माना जा रहा है कि दिसंबर, 2018 या उसके आसपास सरकार चुनावों में जाने का फैसला ले सकती है। लिहाजा इसके बाद लेखानुदान तो लाया जासकता है, लेकिन बजट नई सरकार ही लाएगी। चुनावों में जाने से पहले रोजगार और नौकरियां मोदी सरकार की बुनियादी चिंता हैं, क्योंकि हर साल कमोबेश एक करोड़ नौकरियां मुहैया कराने के वादे ने युवाओं को भाजपा की ओर आकर्षित किया था, लेकिन किन्हीं भी कारणों से रोजगार के मोर्चे पर सरकार को अपेक्षाकृत कामयाबी नहीं मिल सकी। संयुक्त राष्ट्र की एक श्रम रपट के मुताबिक, भारत में बेरोजगारों का आंकड़ा करीब दो करोड़ का है, जबकि करीब पांच करोड़ बेरोजगार सरकारी रिकार्ड में पंजीकृत हैं। 2018 में यह आंकड़ा मोदी सरकार के लिए एक चिंताजनक तस्वीर प्रस्तुत करता है, लिहाजा आने वाले बजट में ‘राष्ट्रीय रोजगार नीति’ की घोषणा की जा सकती है। सरकार उसके मद्देनजर एक रोडमैप तैयार करेगी और आर्थिक, सामाजिक, श्रम नीतियों के जरिए रोजगार और नौकरियां मुहैया कराएगी। मोदी सरकार बड़े उद्योगपतियों को आकर्षित करेगी और मध्यम,लघु स्तर के उद्योगों की मदद करने की योजनाएं बनाएगी। रोजगार से ही कौशल विकास के कार्यक्रम जुड़े हैं।  बजट पूर्व जो सर्वे कराए गए थे, उनमें करीब 56 फीसदी लोगों ने इच्छा जताई है कि रोजगार लक्षित कौशल विकास के लिए एक अच्छा-खासा फंड आबंटित किया जाए। बजट में ऐसा किया जा सकता है तथा हुनरमंद बन रहे युवाओं के लिए प्रोत्साहन-राशि, वजीफों,भत्तों और कंपनियों  द्वारा ‘ऑफर लेटर’ ट्रेनिंग के दौरान ही देने सरीखे प्रावधानों की भी घोषणा की जा सकती है।  ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बजट में न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपए माहवार की जा सकती है। वैसे व्यापारियों की कुछ संस्थाओं ने इसे 21000 रुपए माहवार करने की पैरवी वित्त मंत्री अरुण जेतली से की थी। इसके अलावा, श्रम मंत्रालय असंगठित क्षेत्र के 47 करोड़ से ज्यादा कामगारों का आगामी अप्रैल से पंजीयन शुरू करने वाला है। उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के मद्देनजर असंगठित श्रमिक सूचकांक संख्या (यूविन) कार्ड दिया जाएगा। इसकी घोषणा भी बजट में की जा सकती है। ऐसे कामगारों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और ईएसआईसी के दायरे में लाया जाएगा। हर साल बजट आने से पहले चर्चा शुरू हो जाती है कि आयकर की सीमा कितनी होगी, कितनी रियायतें दी जाएंगी? इस बार भी वित्त मंत्री अरुण जेटली को कुछ प्रस्ताव भेजे गए हैं कि यदि पांच लाख तक संभव नहीं है, तो कमोबेश तीन लाख रुपए की आय तक आयकर की छूट देनी चाहिए। सरकार ने एक सर्वे भी कराया था, जिसमें 31 फीसदी लोगों ने टैक्स की छूट बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने की बात कही थी। लिहाजा बजट में कई रियायतें मिलने के आसार हैं। कर में  1.5 लाख रुपए तक की जो छूट दी जाती रही है,उस सीमा को बढ़ाकर दो लाख किया जा सकता है। बचत योजनाओं में संशोधन सामने आ सकते हैं, ताकि आम आदमी में बचत के प्रति रुझान बढ़े। आयकर की सीमा तीन लाख रुपए करने की बहुत संभावना है, लेकिन आयकर के स्लैब संशोधित किए जा सकते हैं। इससे मध्यवर्ग को अच्छी राहत मिलेगी। भारत में सामाजिक सुरक्षा लगभग ‘शून्य’ है। स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का 1.5 फीसदी भी खर्च नहीं किया जाता है। बुढ़ापा और विधवा पेंशन ‘भीख’ जैसी हैं। बजट पूर्व चर्चा में देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री को पत्र लिख कर खासकर इन दोनों पेंशनों को सम्मानजनक बनाने का अनुरोध किया था। बजट में इन्हें बढ़ाया जा सकता है। मनरेगा का बजट भी करीब 50000 करोड़ रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। बजट में साल के अंत तक ग्रामीण इलाकों में एक करोड़ आवास बनाने के लक्ष्य की भी घोषणा की जा सकती है। सामाजिक सुरक्षा के तहत शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सुधारों पर चर्चा की गई है। देखते हैं कि बजट में क्या-कुछ मिलता है। कुल मिलाकर बजट आम आदमी को खुश करने वाला होगा, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है।


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