वीडॉल टेस्ट नहीं, फतेहपुर की प्रीति पठानिया की खोज बताएगी टाइफाइड

By: Feb 16th, 2018 12:03 am

वडियाली गांव की होनहार वैज्ञानिक ने अढ़ाई साल लंबी रिसर्च के बाद ईजाद किया अनोखा डिवाइस

फतेहपुर— टाइफाइड के मरीजों को महंगे वीडॉल टेस्ट से निजात का नुस्खा फतेहपुर (कांगड़ा) की वडियाली निवासी प्रीति पठानिया ने निकाल लिया है। करीब अढ़ाई वर्ष की लंबी रिसर्च के बाद  प्रीति ने प्रदेश व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। प्रीति ने एक ऐसी बायोमेडिकल डिवाइस की खोज की है, जो कि टाइफाइड के वैक्टीरिया सालमोनेला टाइफी की भी पहचान तुरंत कर लेगी। इस टेस्ट के लिए मरीजों का 35 से 40 रुपए खर्चा आएगा, जबकि इस डिवाइस की रिपोर्ट भी 95 फीसदी सही होगी। अभी तक पूरे देश में टाइफाइड की जांच के लिए मरीजों का वीडॉल व टाइफैक्स टेस्ट ही होता है, जिसके लिए करीब 200 से 350 रुपए तक खर्चा आता है और इस टेस्ट की विश्वसनीयता भी 35 से 40 फीसदी तक ही रहती है। मोबाइल के आकार की इस डिवाइस को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसकी कीमत करीब दस हजार रुपए होगी। इंस्टीच्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी की रिसर्च स्कॉलर प्रीति पठानिया ने पीएचडी चंडीगढ़ में की है, जबकि जमा दो की शिक्षा सीनियर सेकेंडरी स्कूल फतेहपुर से। उनके पिता शक्ति पठानिया हिमाचल पुलिस से एसएचओ के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि माता किरण वाला गृहिणी हैं। पांच फरवरी को प्रीति का विवाह जवाली निवासी कैप्टन देवेंद्र राणा के साथ हुआ है।

पीजीआई चंडीगढ़ में परीक्षण

डिवाइस का पीजीआई चंडीगढ़ के मरीजों पर परीक्षण किया जा चुका है। करीब 34 मरीजों पर परीक्षण के बाद इस डिवाइस की रिपोर्ट 95 फीसदी सही रही है।

नीति आयोग के सदस्य के सामने प्रेजेंटेशन जल्द

डिवाइस की प्रेजेंटेशन अगले कुछ दिनों में नीति आयोग के सदस्य विनोद पाल के सामने दी जाएगी। इसे लेकर इमटेक व पीयू उत्साहित है। जल्द ही डिवाइस का लाभ मरीजों को मिलना शुरू हो जाऐगा। प्रीति के गाइड इमटेक से डा. रमन सूरी व पंजाब यूनिवर्सिटी से डा. प्रवीण सूरी रहे हैं।

खून चैक कर रीडर बताएगा वैक्टीरिया है या नहीं

डिवाइस से रिपोर्ट के लिए मरीज को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। महज आठ से 10 मिनट में यह डिवाइस रिपोर्ट देगी। इसमें सेंसर व नैनो तकनीक का प्रयोग किया गया है। आप्टिकल सेंसर युक्त यह उपकरण महज आठ से दस मिनट में रिपोर्ट बता देते हैं।  टाइफाइड की जांच के लिए डिवाइस में मरीज का खून डालना होगा। डिवाइस में मौजूद रीडर पुष्टि करेगा कि खून में वैक्टीरिया है या नहीं। निश्चय ही हिमाचल की इस होनहार वैज्ञानिक की यह तकनीक देश के लिए काफी लाभकारी साबित होगी।


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