शिगड़ू महाराज हैं रोहड़ू मेले का आकर्षण

By: Feb 7th, 2018 12:05 am

लोगों की भारी-भरकम भीड़ मेले में शिरकत करने के लिए चली आती है। आपसी भाईचारे और स्नेह की झलक सहज ही देखी जा सकती है। लोगों का मित्र मिलन त्योहार की रौनक को चौगुना कर देता है। मेले का आकर्षण स्थानीय देवता शिगडू महाराज जी हैं…

रोहड़ू मेला: विश्व में अनुपम सौंदर्य से परिपूर्ण चांशल चोटी का सान्निध्य देखते ही बनता है। गोलाकार पहाडि़यों से घिरे रोहड़ू की छवि से टकराती पत्थर की जल धाराएं बयान कर रही हैं कि सदियों से यह निर्बाध गति से आगे बढ़ रही है और इतिहास की मूल घटनाओं का संदेश दे रही हैं। अतीत के पन्नों को टटोला जाए तो रोहड़ू क्षेत्र धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सवों के लिए खास विख्यात रहा है। चारों ओर देवी-देवताओं का वास रहा है। यह छत्रछाया आज भी कायम है। क्षेत्रवासी आज भी देवी-देवताओं को पूर्ण श्रद्धा से मानते हैं। देवी-देवताओं की सर्वोच्च सत्ता में प्रजा प्रसन्नचित है और विकास के उच्चतम शिखर की ओर अग्रसर है। भोले-भाले लोग विकास के पथ पर बिना रुके आगे बढ़ रहे हैं। यही वजह रही है कि ऊपरी शिमला में बहुचर्चित रोहड़ू मेले की नींव पड़ी। कालांतर में यह मेला राज्य स्तर के दर्जे से अलंकृत हुआ। तीन दिन तक यह मेला चलता है। लोगों की भारी-भरकम भीड़ मेले में शिरकत करने के लिए चली आती है। आपसी भाईचारे और स्नेह की झलक सहज ही देखी जा सकती है। लोगों का मित्र मिलन त्योहार की रौनक को चौगुना कर देता है। मेले का आकर्षण स्थानीय देवता शिकडू महाराज जी हैं। शिकडू देवता साहिब अपने रथ में सवार रहते हैं। रथ में विराजमान होकर पूरे नगर की परिक्रमा करते हैं। देवता साहिब की भव्य झांकी नगर के गंगटोली से निकाली जाती है और नगर भ्रमण के बाद पुनः देवता के मंदिर परिसर गंगटोली में पहुंचती है। शीत ऋतु के उपरांत आने वाली वसंत ऋतु में मौसम भी खुशगवार रहता है। सर्वत्र प्रकृति की काया पूरे यौवन पर होती है। परिंदे भी वसंत ऋतु के आगमन पर अपने गीत गुनगुनाने लगते हैं। फूलों की सौंधी-सौंधी खुशबू आमजन मानस को मदहोश कर देती है। इसी बीच यह मेला भी लोगों के बीच काफी ख्याति प्राप्त है। वसंत ऋतु में रोहड़ू मेले की रौनक चमचमाती नजर आती है। स्थानीय कलाकारों के हुनर व बाहरी राज्यों एवं जिलों में आने वाले कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का सुअवसर मिलता है। खेल-खिलाड़ी को अपना खेल दिखाने का अवसर प्राप्त होता है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहती है। हजारों लोगों के बीच देवता शिकडू महाराज का नृत्य अजब कौतुहल पैदा करता है। रथ पर सवार होकर देवता का लयबद्ध नृत्य देखते ही बनता है। बहरहाल राज्य स्तरीय रोहड़ू मेला वक्त के साथ हालांकि फीका तो पड़ता जा रहा है, मगर लोगों के उत्साह में मेले के प्रति कोई कमी नहीं आई है। रिवालसर मेला- निम्न हिमालयी भाग का बैसाखी(13 अप्रैल) के दिन और पिछली रात मनाया जाने वाला यह प्रसिद्ध मेला है, जो मंडी जिला की रिवालसर झील के स्थान पर मनाया जाता है।


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