सबके लिए समान हों ऋण संबंधी नियम

By: Feb 23rd, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा

सत्ताधारी दल और कुछ अन्य लोग मान रहे हैं कि पीएनबी घोटाले की नींव मनमोहन सरकार के समय रखी गई थी। माना कि यह नींव मनमोहन सरकार के समय रखी गई, लेकिन फिर मोदी सरकार ने इस पर एक मजबूत इमारत क्यों तैयार होने दी? मनमोहन सरकार में तो और भी घोटाले होने की खबरें थीं। उन पर कार्रवाई के तौर पर मोदी सरकार ने क्या किया? नोटबंदी के समय जो बैंकों में गड़बड़ी की खबरें सामने आई थीं, तब भी क्या मनमोहन की सरकार थी? मोदी सरकार ने अपने चार वर्ष तक इस घोटाले पर चुप्पी क्यों साधे रखी? अगर मोदी सरकार की नीयत साफ है, तो यह अब मामले की जांच विशेष जांच दल से कराने से क्यों कतरा रही है? देश में कल-कारखानों और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बैंकों को ऋण अवश्य देना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि किसी पर भी आंखें मूंद कर विश्वास कर लिया जाए। ऋण जारी करने के कायदे-कानून सबके लिए बराबर होने चाहिएं। अगर किसी मध्यम या गरीब वर्ग से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति को अशियाना बनाने के लिए बैंक से ऋण लेना हो, तो बैंक सबसे पहले यह पता करने की कोशिश करते हैं कि वह ऋण की राशि लौटा पाने में समर्थ है भी कि नहीं। इसी तरह के नियम सबके लिए बनाए जाएं, तो बैंकों में घोटाले शायद न हों।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App