सिकुड़ते ग्लेशियरों से बढ़ रहा झीलों का आकार

By: Feb 28th, 2018 12:05 am

ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं, वहीं झीलों में विस्तार हो रहा है। विज्ञान एवं तकनीकी परिषद ने हिमखंडों से बनने वाली 38 झीलों को लेकर अपना अध्ययन किया। इनमें से 14 झीलें हिमाचल में हैं। इस अध्ययन से पता चलता है कि लाहुल-स्पीति जिले की गोपांग ग्लेशियर झील 1976 के मुकाबले 0.27 वर्ग किलोमीटर फैल चुकी है…

गतांक से आगे…

परिषद के विशेषज्ञों ने 1963 से 1997 तक के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अपना अध्ययन किया तथा निष्कर्ष निकाला है कि शौन गंगा ग्लेशियर लगभग 1050 मीटर पीछे हट चुका है। जाहिर है कि यह ग्लेशियर हर साल तीस मीटर सिकुड़ रहा है। इसी तरह जनपा हिमखंड भी 1963 के मुकाबले 650 मीटर सिकुड़ चुका है। हिमालयी क्षेत्र के इन ग्लेशियरों के सिकुड़ने की घटना से वैज्ञानिक चिंतित हैं। भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदेश में आम तौर पर जो ग्लेशियर मौजूद हैं, वे घाटी में हैं और घाटी में स्थित हिमखंड इतनी तेजी से नहीं सिकुड़ते। लिहाजा इसे ग्लोबल वार्मिंग से जोड़ कर देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों  का मानना है कि क्षेत्रीय जलवायु में हो रहा परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग दोनों की वजह से ही ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। इस ओर जहां इस क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से सिकुड रहे हैं, वहीं झीलों में विस्तार हो रहा है। विज्ञान एवं तकनीकी परिषद ने हिमखंडों से बनने वाली 38 झीलों को लेकर अपना अध्ययन किया। इनमें से 14 झीलें हिमाचल में हैं। इस अध्ययन से पता चलता है कि लाहुल-स्पीति जिले की गोपांग ग्लेशियर झील 1976 के मुकाबले 0.27 वर्ग किलोमीटर फैल चुकी है। इसके अलावा कुछ अन्य झीलों में भी इसी तरह के लक्षण देखे गए हैं। विज्ञान  एवं तकनीकी परिषद के अन अध्ययनों  के अलावा केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकी विभाग ने भी हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियरों को लेकर अध्ययन किए हैं।


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