सीखना होगा टाइम मैनजमेंट

By: Feb 10th, 2018 12:05 am

बच्चे के एग्जाम के 2-3 हफ्ते से पहले ही तैयारी करना शुरू कर दें। उनका पूरा सिलेबस देख कर यह निर्णय लें कि उन्हें कहां से तैयारी शुरू करवानी है। आपके बच्चे पर पढ़ाई का ज्यादा बोझ न पड़े और वह रिलेक्स होकर परीक्षा की तैयारी करे, इसके लिए अपने बच्चे को प्यार से समझाएं…

वर्किंग वूमन के लिए आफिस, फैमिली और सोसायटी में तालमेल बिठाना मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं। आखिरकार सभी को आपके समय की दरकार होती है। इसे संभाल भी लें, पर बच्चों की चिंता आफिस में भी आपके साथ चलती है। बच्चों के सिर पर एग्जाम का समय आ धमका है। जितने दिनों के लिए एग्जाम चलते हैं उतने दिन केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि उनके पेरेंट्स भी परेशान रहते हैं। अपने ऊपर कान्फिडेंस न होना और तनाव होने की वजह से बच्चे अपना उत्तर गलत कर देते हैं। रिजल्ट में क्या होगा और कम नंबर आए, तो पेरेंट्स क्या कहेगें, इन सब सवालों से घिरे बच्चे दिमागी रूप से बीमार पड़ जाते हैं। इसके लिए पेरेंट्स को एग्जाम के समय अपने बच्चों का दोस्तों की तरह साथ देना चाहिए और उन्हें इससे न डरने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

कैसे करें बच्चों की मदद

बच्चे के एग्जाम के 2-3 हफ्ते से पहले ही तैयारी करना शुरू कर दें। उनका पूरा सिलेबस देख कर यह निर्णय लें कि उन्हें कहां से तैयारी शुरू करवानी है। आपके बच्चे पर पढ़ाई का ज्यादा बोझ न पड़े और वह रिलेक्स होकर परीक्षा की तैयारी करे, इसके लिए अपने बच्चे को प्यार से समझाएं। देरी करने से कोई फायदा नहीं होता है, इससे बच्चे एग्जाम का दिन आते-आते घबराने लगेंगे। अच्छा होगा कि आप सबसे पहले उन बिंदुओं पर ध्यान दें जिसमें आपका बच्चा कमजोर है। कामकाजी पेरेंट्स बच्चों के ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसलिए वह अपने बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन में भेज कर पढ़वाते हैं। इसलिए जब बच्चे वापस पढ़ कर आएं तब उनसे क्लास में क्या-क्या पढ़ाया गया है, जरूर पूछें। जो माताएं बाहर काम कारती हैं, वह घर से निकलने से पहले अपने बच्चे को होमवर्क दे कर जाया करें। जब वापस आएं तो उसका होमवर्क जरूर चैक करें और अगर काम अच्छा हो तो उसकी तारीफ  भी करें। इससे बच्चे का मनोबल बढ़ता है और उसे एग्जाम का प्रेशर झेलने की ताकत भी मिलती है। उसका हमेशा लिखित टेस्ट लेती रहा करें। यह एक अच्छा माध्यम है, एग्जाम की तैयारी करने का। सबसे पहले अपने बच्चे को एक पाठ रटने के लिए बोलें और फिर उससे वह पाठ पूरा सुने। जब बच्चा वह पाठ ठीक से सुना दे तब दूसरे दिन उसका रिटन टेस्ट लें। अगर आपको लगता है कि बच्चा मन लगा कर तैयारी नहीं कर रहा है, तो उसके प्रति थोड़ा सा सख्त व्यवहार अपनाएं। उसे एग्जाम में फेल होने के प्ररिणाम बताएं, जिससे वह थोड़ा सतर्क हो जाए। पर कभी भी बच्चे को मारें-पीटें नहीं वरना वह निराश हो जाएगा और किताबों के प्रति उसका लगाव भी कम हो जाएगा।रिवीजन बहुत जरूरी है। इससे बच्चे को पाठ याद रखने में बहुत मदद मिलेगी। हर दूसरे दिन बच्चे से पुराना पढ़ाया गया पाठ पूछें। जिस दिन बच्चा एग्जाम देने के लिए जा रहा हो, तब उसको सुबह जल्दी उठा दें और रिवीजन करने को बोलें।

समय का सही इस्तेमाल करें- सभी के पास दिन के 24 घंटे होते है, पर कुछ लोग उसमें ज्यादा काम कर पाते हैं और कुछ कम। इसका कारण है कि कुछ लोग समय का सही इस्तेमाल करते हैं। इसलिए जरूरी है कि दिन के 24 घंटों को ठीक से प्लान किया जाए ताकि कम समय में ज्यादा काम किया जा सके। बच्चों के लिए एक टाइम टेबल बनाएं। अपने समय का सही और पूरा इस्तेमाल करें।

फ्लोचार्ट और डायग्राम का इस्तेमाल करना- चित्रों, फ्लोचार्ट, डायग्राम जैसे विजुअल देखने में आकर्षित और समझने में आसान होते हैं। इनकी मदद से महत्त्वपूर्ण बातों को समझने और दोहराने में आसानी होती है। इसलिए जरूरी है कि पढ़ते समय महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को फ्लोचार्ट या डायग्राम की मदद से समझा और याद किया जाए। इस तरह के दृश्यक चित्रों की मदद से बातों को ज्यादा समय तक याद रखना आसान होता है।

पिछले परीक्षा पत्रों से तैयारी- परीक्षा के समय में प्रश्न पत्र का प्रारूप समझना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए पिछले साल के प्रश्न पत्र मददगार होते हैं। बीते वर्षों के प्रश्न पत्रों को पढ़कर और दोहराकर जहां एक तरफ  प्रश्नों को दोहराया जा सकता है, वहीं दूसरी ओर प्रारूप को भी समझने में आसानी होती है। इसी के साथ-साथ उन परीक्षा पत्रों को पूरी तरह हल करके समय व्यवस्था का भी अभ्यास हो जाता है। बच्चे के लिए यह समझना आसान हो जाता है कि प्रश्न पत्र के किस भाग  को कितना समय दिया जाए।


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