स्मार्ट गांव का खाका खींचे बजट

By: Feb 8th, 2018 12:05 am

निधि शर्मा

लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार हैं

गांव आधारित प्रदेश की अर्थव्यवस्था केसामने सबसे बड़ी चुनौती स्मार्ट गांव बनाने के लिए धन की व्यवस्था करना है। करीब 46 हजार करोड़ के कर्ज तले दबी प्रदेश सरकार स्मार्ट गांव की अवधारणा से ही आत्मनिर्भर बन सकती है। उम्मीद है प्रदेश सरकार स्मार्ट गांवों के विकास के लिए अपने इरादे इसी बजट में जाहिर कर देगी…

प्रदेश केनए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सिराज वैली यानी एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं। गांव में रहना और वहां केसंसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना वह  बखूबी जानते होंगे। प्रदेश की लगभग 3243 ग्राम पंचायतों में मूलभूत सुविधाएं तो हैं, लेकिन इन पंचायतों के गांव का स्मार्ट विकास करना बहुत जरूरी है। देश की स्मार्ट शहर योजना केअंतर्गत प्रदेश की दो राजधानियों शिमला एवं धर्मशाला को शामिल किया गया है। लेकिन प्रदेश की आज भी नब्बे प्रतिशत जनसंख्या गांव में बसती है। इसलिए प्रदेश का विकास गांव के विकास से ही सुनिश्चित किया जा सकता है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत आधारभूत संरचना का विकास, सतत विकास के माध्यम से पर्यावरण को सुनिश्चित करना, गांवों में सूचना क्रांति के सहयोग से विकास की योजनाएं बनाना और हर वर्ग तक विकास को पहुंचाना शामिल किया गया है। प्रदेश में इसी तर्ज पर अब स्मार्ट गांव का विकास करना होगा।

प्रदेश के गांव में सड़क, पानी, बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाएं तो हैं, लेकिन इनका स्मार्ट सुनियोजन धरातल पर कहीं नजर नहीं आता। महात्मा गांधी के अनुसार वही गांव उन्नत माना जाता है, जहां उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग करके उस गांव का विकास हो। यानी गांव में मानवीय विकास के साथ-साथ रोजगार सुनिश्चित हो एवं गांव आत्मनिर्भर बनें। दूसरी ओर देश के पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने स्मार्ट गांव को पुरा (प्रोवाइडिंग अर्बन ऐमिनिटीज इन रूरल एरियाज) की अवधारणा को परिभाषित किया था। प्रदेश में स्मार्ट स्कूल के साथ ई-लाइब्रेरी, स्मार्ट अस्पताल यानी प्राथमिक इलाज के साथ सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल्ज के साथ आईटी के माध्यम से जुड़ना, सामुदायिक केंद्र बनाना, रोजगार के लिए कौशल विकास केंद्र खोलना और गांव के सरपंचों के माध्यम से उनकेअवसर व चुनौतियों का विश्लेषण करने के बाद सरकार को रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा गांव के विकास के लिए आदर्श सांसद ग्राम योजना, जिसमें प्रदेश का प्रत्येक सांसद गोद लिए सिर्फ एक गांव का ही विकास धन के माध्यम से कर पाएंगे और अन्य महत्त्वपूर्ण योजना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण मिशन के तहत भी चिन्हित गांवों केविकास का खाका तैयार किया गया है। गांवों के समुचित विकास के लिए इन केंद्र प्रायोजित योजनाओं के साथ-साथ प्रदेश सरकार को स्मार्ट गांव के लिए नीति स्वयं तैयार करनी होगी।

गांव आधारित प्रदेश की अर्थव्यवस्था केसामने सबसे बड़ी चुनौती स्मार्ट गांव बनाने के लिए धन की व्यवस्था करना है। क्योंकि करीब 46 हजार करोड़ के कर्ज तले दबी प्रदेश सरकार  स्मार्ट गांव की अवधारणा से ही आत्मनिर्भर बन सकती है। पहाड़ी प्रदेश की अर्थव्यवस्था वानिकी एवं पर्यटन पर ही निर्भर करती है, इसलिए प्रदेश सरकार को इन दोनों क्षेत्रों को स्मार्ट गांव की अवधारणा से जोड़ना चाहिए। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने केलिए जनता की भागीदारी का मॉडल अपनाना चाहिए, ताकि युवाओं को गांव में ही सही तरीके से संसाधनों को प्रयोग करने का अधिकार मिले और गांव में ही उनके लिए रोजगार का बंदोबस्त भी हो। सरकार को ग्रामीण ई-पर्यटन नीति बनानी चाहिए और गांव को उनके स्वरूप को बनाए रखने के लिए भी ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिसमें सजा का प्रावधान हो। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटक ग्रामीण खूबसूरती देखने आते हैं। प्रदेश के प्रत्येक जिले की अपनी संस्कृति, बोली और अपना एक खास खानपान है। हिमाचल की यह विरासत भी बेहद संपन्न रही है। अतः सरकार को चाहिए इन संभावनाओं के विकास के लिए ग्रामीण अधोसंरचना को एक अभियान के तहत विकसित किया जाए, ताकि पर्यटक धर्मशाला, शिमला या मनाली तक सीमित न रहकर प्रदेश के हर कोने तक पहुंचें। प्रदेश में जंगल, नदियां, पहाड़ और घाटियों की प्राकृतिक सुंदरता है। इसके साथ-साथ प्रदेश की जलवायु को तीन भागों, शिवालिक, मध्य एवं जस्कर क्षेत्र में विभाजित किया गया है।इस जलवायु के हिसाब से वानिकी नीति बनाई जाए, ताकि युवाओं को गांव में ही रोजगार के अवसर प्राप्त हों। कृषि व वानिकी को सरकार के एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन आत्मा के साथ जोड़कर विविधता पर फोकस कर ई-मार्केटिंग की नीति पर कार्य करना चाहिए। क्योंकि स्मार्ट गांव की संकल्पना बुनियादी जरूरतों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक संचार के जरिए भौतिक कनेक्टिविटी और ज्ञान कनेक्टिविटी से साकार हो सकती है।

केंद्र की मोदी सरकार आगामी एक वर्ष के लिए अपना बजट प्रस्तुत कर चुकी है। विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने इस बजट की व्याख्या गांव, किसान-बागबान व गरीब के बजट के रूप में की है। हिमाचल में इस तबके की एक बड़ी आबादी है और उसी के अनुरूप गांव के लिए बजट में विशेष प्रावधानों की अपेक्षा भी है। उम्मीद है कि प्रदेश सरकार हिमाचल में स्मार्ट गांवों के विकास के लिए अपने इरादे इसी बजट में जाहिर कर देगी।


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