स्वस्थ रहने के लिए अच्छी आदतें

By: Feb 17th, 2018 12:05 am

खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियां, दाल, अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में वैरायटी ऑफ  फूड शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं…

अच्छी सेहत के लिए कुछ अच्छी आदतों का होना बेहद जरूरी है। कई बार हम कुछ चीजों को लेकर लापरवाह हो जाते हैं और खुद को बीमार बना देते हैं। आपको पता ही होगा कि कई बार छोटी- छोटी बीमारियां भी बड़ी बीमारी का कारण बन जाती हैं। इसलिए अपनी सेहत से खिलवाड़ करने से बेहतर है कि आप कुछ अच्छी आदतों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाएं और खुद को स्वस्थ रखें। कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने और खाना खाने से पहले व बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है, उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं या सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें। घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वाशबेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। ताजी सब्जियों, फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडार भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें। इसके अलावा खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बरतनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बरतनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि को ढक्कन लगाकर रखें। बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्त्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। हमेशा ताजा भोजन ही खाएं। खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियां, दाल, अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में वैरायटी ऑफ फूड शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं। खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑयल जैसे सोयाबीन, सनफ्लावर, मक्का या आलिव ऑयल के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शक्कर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा अप्राकृतिक शक्कर से बने जूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो। सोने से पहले 15 से  20 मिनट टहलना न भूलें। अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ.-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ  तथा पर्दों को 3 से 4 दिन के अंतराल में बदलती रहें। मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें। मेडिटेशन, योग या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए जरूरी है। इसलिए सुबह के समय खुद के लिए वक्त निकालें, सुबह जल्दी उठें और खुली हवा में व्यायाम या योग अवश्य करें। कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ  तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रही हैं तो दफ्तर या घर की सीढि़यां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े। 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चैकअप करवाते रहें और यदि डाक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें। खुद को ज्यादा सीरियस न बनाएं और क्रोध को भी खुद पर हावी न होने दें। अपनी जीवनशैली में थोड़ा बदलाव आपको कई घातक बीमारियों की चपेट में आने से बचा सकता है। ये छोटी-छोटी बातें आपके लिए बहुत अहम हैं।

 

 


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