93 हजार बच्चे, दवा खा गए 99 हजार

By: Feb 22nd, 2018 12:05 am

बिलासपुर  —स्वास्थ्य विभाग बिलासपुर के आंकड़े अभी तक कई साल पुराने ही हैं। जी हां, क्योंकि जब कोई भी अभियान प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया जाता है तो हमेशा बिलासपुर अपने आंकड़ों के हिसाब से ऊपर ही होता है। वहीं हम अगर बात करें अभी हाल ही में शुरू हुए एल्बेंडाजोल दवा की तो बिलासपुर स्वास्थ्य विभाग के पास कुल 93 हजार 131 बच्चों का आंकड़ा था, परंतु जब दवा खाने का समय आया तो यहां पर 99 हजार 437 बच्चे  दवा खा गए। अब हम अनुमान लगा सकते हैं कि बिलासपुर में टारगेट के हिसाब से 6306 बच्चों ज्यादा ने यह दवा खाई है। अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के पास 6306 बच्चों का आंकड़ा ही नहीं है। अगर यह आंकड़ा इनके पास नहीं है तो फिर कैसे यह किसी अभियान को अपने आंकड़ों के हिसाब से शुरू कर सकते हैं।  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उनके पास सिर्फ स्कूलों और आंगनबाडि़यों के बच्चों का ही आंकड़ा होता है, जिस हिसाब से वह बच्चों का दवा खिलाते हैं, परंतु स्वास्थ्य विभाग शक के घेरे में तब आता है, जब बिलासपुर जिला के 6306 बच्चे अभी तक भी आंकड़ों से क्यों बाहर हैं। गौर हो कि एल्बेंडाजोल दवा 0-19 उम्र के बच्चों को खिलाई जा रही है, जिसमें प्रदेश के सभी जिलों में इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी के साथ सभी जिला अपने आंकड़ों और टारगेट के हिसाब से काम कर रहा है, परंतु बिलासपुर स्वास्थ्य विभाग बिना आंकड़ों के हिसाब से अपनी मनमर्जी के चलते दवा खिला रहा है। इसकी खबर न तो जिला प्रशासन को है और न ही स्वास्थ्य विभाग को। वहीं अगर हम यह भी मानते हैं कि चलो बाहरी राज्यों से आए लोगों के बच्चों को आंकड़ों में दर्ज नहीं किया गया है, तो जाकर यह आंकड़ा बढ़ा है, लेकिन क्या छह हजार से अधिक बच्चों का आंकड़ा बिलासपुर में हैं, जो अभी तक भी आंकड़ों से बाहर है। बता दें कि यह अभियान 19 फरवरी से पूरे हिमाचल प्रदेश में शुरू किया गया है। जिसमें बच्चों के पेट में कीड़े को खत्म करने के लिए यह  दवा खिलाई जा रही है।  बतातें चलें कि इसी अभियान के तहत  24 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला भर में मॉप दिवस का भी आयोजन किया गया है। इसमें जो बच्चे यह दवा खाने से छूटे हैं, उन्हें यह दवा खिलाई जाएगी। इस तरह स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही के खुलासे से विभागीय अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। जब इस संदर्भ में सीएमओ बिलासपुर वीके चौधरी को फोन पर संपर्क साधा गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। यही नहीं, हमेशा सीएमओ कभी भी फोन नहीं उठाते हैं, जिसके चलते जिला चिकित्सा अधिकारी पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं।


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