अब तो भेदभाव की बेडि़यां तोड़ दे समाज

By: Mar 8th, 2018 12:05 am

आपाधापी के इस दौर में कामकाजी महिलाएं जिम्मेदारी की डोर से बंधी हुईं हैं। समाज, परिवार और कारोबार में जिम्मेदारी का एहसास और समय का सही प्रबंधन ही वह अस्त्र है, जिससे कि महिलाएं तमाम मुसीबतों पर विजय पा रही हैं पर समाज आज भी इसी ताक में रहता है कि महिला हल्की सी भी गलती करे तो उसे सुनाया जाए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ महिलाओं के जज्बातों से रू-ब-रू करवा रहा है….

ऊना से एमके जसवाल की रपट…

मामले सामने आ रहे हैं

महिला थाना ऊना की इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर बिंदु चंदेल का कहना है कि पुरुष प्रधान देश में महिलाओं को मान-सम्मान तो मिल रहा है, लेकिन कुछ खामियां आज भी बरकरार हैं, जिनमें महिलाओं की उपेक्षा हो रही है। महिलाओं के प्रति अत्याचार के अनेक मामले आज भी सामने आ रहे हैं। इनमें महिलाएं न्याय के लिए भटक रही हैं।

बदलाव लाना जरूरी है

परमजीत कौर का कहना है कि सरकार ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर हर अधिकार देने की कार्रवाई की है। किसी स्तर पर महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए पुरुषों की मानसिकता में बदलाव होना जरूरी है।

भेदभाव न किया जाए

सलोह की कुसम ने कहा कि बचपन से ही लड़कों की तुलना में लड़कियों की उपेक्षा शुरू हो जाती है। जो कि बाद में भी बरकरार रहती है। अगर परिवार से ही लड़के-लड़कियों में कोई भेदभाव न किया जाए तो महिलाओं की उपेक्षा कहीं नहीं होगी।

एक अलग इमेज बनाई

मोनिका का कहना है कि घर से बाहर तक महिलाओं ने हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करके अपनी एक अलग इमेज बनाई है। महिलाओं के प्रति भेदभाव की दीवार आज भी देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि लड़कियां हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है। विभिन्न परीक्षाओं की मैरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। महिलाओं की इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए। भेदभाव नहीं होना चाहिए।

अपराधों से रूह कांप जाती है

बलजीत कौर का कहना है कि आज भी घर से बाहर निकलते ही लड़कियों को डर सताने लगता है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न घटित हो जाए। समाचार पत्रों में हर रोज लड़कियों के साथ हो रहे जघन्य अपराधों को पढ़कर ही रूह कांप जाती है, परंतु आज महिला जिस तरह से कंधे से कंधा मिलाकर आज कल काम कर रही है उसको देखते हुए महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। वर्तमान समय में अगर घर के बाहर नौकरी करनी हो तो काफी मुश्किल है महिला जब शादी के बंधन में बंध जाती है तो यह मुश्किल और भी बढ़ जाती है।

मान-सम्मान करते हैं

गृहिणी अनिता का कहना है कि समाज में महिलाओं की इजत हो रही है। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना जरूरी है। हर पुरुष की सोच एक जैसी नहीं होती। अधिकत्तर पुरुष आज भी महिलाओं का मान-सम्मान करते हैं।  उन्होंने कहा कि महिलाओं को हमेशा समाज को मद्देनजर रखते हुए ही कार्य करना चाहिए, क्योंकि महिला की इज्जत की समाज में मुख्य भूमिका रहती है पर दुख होता है, जब समाज में ही भेदभाव किया जाता है।


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