आज भी…गलती की ताक में ही रहते हैं सारे लोग

By: Mar 8th, 2018 12:05 am

आपाधापी के इस दौर में कामकाजी महिलाएं जिम्मेदारी की डोर से बंधी हुईं हैं। समाज, परिवार और कारोबार में जिम्मेदारी का एहसास और समय का सही प्रबंधन ही वह अस्त्र है, जिससे कि महिलाएं तमाम मुसीबतों पर विजय पा रही हैं पर समाज आज भी इसी ताक में रहता है कि महिला हल्की सी भी गलती करे तो उसे सुनाया जाए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ महिलाओं के जज्बातों से रू-ब-रू करवा रहा है….

                                                                                                                                                                    – चंबा से मान सिंह वर्मा

हर जिम्मेदारी निभा रही हूं

विमला कपूर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने कहा किनौकरी ओर घर परिवार चलाने में दिक्कतें तो जरूर आती हैं मगर परिवार का सहयोग मिल जाने से सब कुछ खुद व खुद हो जाता है। मेरे परिवार में भी ऐसा ही है सब मिल जुल कर मेरे कार्य में हाथ बंटाते है इसलिए उन्हें ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता।

खुद के साथ औरों का भी ख्याल

प्रियंका ने कहा कि हर किसी की अपनी-अपनी राहे हैं.. मंजिल भी अलग-अलग है पर दौड़ भाग भरे दौर में घर के कार्य के साथ पढ़ाई के लिए भी समय निकालना पड़ता है। परिवार के साथ होने पर घर के सभी कार्य में हाथ बटाना पड़ता है। पढ़ाई के लिए घर से बाहर रहने पर खुद ही सब एडजस्ट करना पड़ता है।

जल्दी उठना पड़ता है…

अधिवक्ता अंजलि मल्होत्रा ने बताया कि खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी, लेकिन आज के दौर में हर महिला मर्दानी है। पांच हजार किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण करने वाली डा. टेसी थॉमस भी महिला ही थी जिसे आज मिसाइल वूमन एवं अग्नि पुत्री भी कहा जाता है।

भाग-दौड़ भरी लाइफ

अराधना ठाकुर लिपिक ने कहा कि जितना समय आगे चल रहा है उतनी भाग दौड़ बढ़ रही है। आज आने जाने के लिए साधन उपलब्ध हैं, जिनके पास अपनी मोटर है वह भी समय पर निकलेगा जिन्हें पैदल पहुंचना है उन्हें भी सयम पर निकलना है। फर्क सयम का है एडजस्ट सब ने करना है।

हर रोज नई चुनौती

सुरेश कुमारी का कहना है कि घर के कार्याें के साथ अन्य तरह के कार्यों को निपटाना उनकी आदत बन गया है। उन्होंने कहा कि वह घर के कार्यों के अलावा समाज के लिए भी कार्य कर रही हैं। जीवन में रहते हुए मनुष्य को सामाजिक सरोकारों को बनाए रखना भी जीवन का एक मजबूत हिसा है। जो उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाता है।

लंबी दूरी तय करती हूं

दिनेश नंदनी पीए एडीसी ने कहा कि

जो परिस्थितियों से लड़ना सीख लेता है। उसी के लिए अंधेरे के बाद भोर भरा उजाला आता है। नौकरी के साथ परिवारिक  काम काज को निपटाना रोजमर्रा बन गया है। डिजिटल इंडिया के दौर में भले ही अलार्म से लोग सतर्क हो रहे है, लेकिन इससे पहले भी वह समय पर उठ कर घर के कार्य को निपटाने के साथ आफिस के लिए रेडी हो जाती थी।


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