आध्यात्मिक शक्ति

By: Mar 24th, 2018 12:05 am

स्वामी विवेकानंद

गतांक से आगे…

मनुष्य चकित बोला, ‘आप यह क्या सिखा रहे हैं।’

मैंने उसे कहा, ‘क्या इस दीवार ने कभी चोरी की है? क्या इस दीवार ने कभी शराब पी है?’

‘जी, नहीं।’ मनुष्य चोरी करता है और वह शराब पीता है और ईश्वर बन जाता है। मैं जानता हूं, मेरे मित्र कि तुम दीवार नहीं हो। कुछ करो, कुछ करो। मैंने देखा कि यदि वह मनुष्य चोरी करे, तो उसकी आत्मा मुक्ति के मार्ग पर चल पड़ेगी। मैं कैसे जानूं कि तुम सब जो एक बात कहते हो, साथ खड़े होते हो, साथ बैठते हो, अलग-अलग व्यक्ति हैं? यह मार्ग मृत्यु की ओर जाता है। अपनी आत्माओं के लिए कुछ करो। यदि इच्छा हो, तो कुछ गलत करो, पर करो अवश्य! यदि मेरी बात तुम्हारी समझ में नहीं आती, तो धीरे-धीरे आ जाएगी। अब तुम समझते होंगे कि संसार में बुराई क्यों है। घर जाओ और उसके विषय में सोचो, केवल इस मोर्चे को छुड़ाने के लिए! हम पार्थिव वस्तुओं के लिए प्रार्थना करते हैं। किसी मंतव्य को प्राप्त करने के लिए हम रीति से ईश्वर की पूजा करते हैं। जाओ और भोजन-वस्त्र के लिए योजना करो। पूजा अच्छी बात है! कुछ सदा कुछ नहीं से अच्छा होता है। एक अंधा मामा होना, एक भी मामा न होने से अच्छा है। एक बहुत धनी युवक बीमार पड़ जाता है और अपनी बीमारी से मुक्ति पाने के लिए गरीबों को दान देने लगता है। यह अच्छा काम है, पर तो भी धर्म नहीं है, आध्यात्मिक धर्म। यह सब पार्थिव स्तर पर है। क्या पार्थिव है और क्या नहीं है? जब ध्येय संसार होता है और ईश्वर उसकी प्राप्ति का साधन बनता है, तो यह पार्थिव है। जब ध्येय ईश्वर होता है और संसार उस ध्येय के प्राप्त करने का साधन मात्र बन जाता है, तो आध्यात्मिकता आरंभ हो जाती है। इस प्रकार (पार्थिव) जीवन के प्रचर आकांक्षी के लिए सारे स्वर्ग इस जीवन के ही विस्तार होते हैं। वह मरे हुए सभी लोगों से मिलना चाहता है और एक बार फिर हंसी-खुशी में समय बिताना चाहता है। एक महिला जो माध्यम थीं, दिवंगत आत्माओं को हम तक उतारती थीं। वे बहुत उदार हृदय थीं, पर माध्यम कहलाती थीं। बहुत ठीक! यह महिला मुझे बहुत पसंद करती थीं और उन्होंने मुझे आमंत्रित किया। सब आत्माएं मेरे प्रति बहुत नम्न रहीं। मझे बहुत विचित्र अनुभव हुआ। तुम समझते हो कि यह एक (आध्यात्मिक बैठक), मध्य रात्रि थी। माध्यम बोली, ‘मैं यहां एक भूत खड़ा देखती हूं। भूत कहता है कि उस बैंच पर एक हिंदू सज्जन बैठे हैं, मैं उठ खड़ा हुआ। बोला, आपको यह कहने के लिए किसी भूत की आवश्यकता नहीं थी।  वहां एक विवाहित युवक मौजूद था, बुद्धिमान और सुशिक्षित। वहां वह अपनी मां से मिलने आया था।  माध्यम ने कहा, अमुक की मां यहां है। यह युवक मुझे अपनी मां के बारे में बता रहा था। जब उनकी मृत्यु हुई थी, तो वे बहुत दुबली थीं, पर जो मां पर्दे में से आईं काश, तुमने भी देखा होता। मैं देखना चाहता था कि यह युवक क्या करेगा। मैं चकित हुआ, जब वह उछलकर खड़ा हो गया और प्रेत को छाती से लगाकर बोला, ‘अरे मां, तुम आत्माओं के देश में कितनी सुंदर हो गई हो।


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