इस मंदिर में छिपा है भगवान श्री कृष्ण के परलोक गमन का राज

By: Mar 17th, 2018 12:05 am

जब भगवान श्री कृष्ण की लीला समाप्त हुई तो वे धरती पर अपने इस अवतार और देह को छोड़कर स्वधाम चले गए थे। पांडवों ने उनकी देह का अंतिम संस्कार कर दिया। इस दौरान उनका पूरा शरीर तो जलकर नष्ट हो गया, लेकिन उनका दिल जलता ही रहा…

भगवान श्री कृष्ण के जन्म और उनकी लीलाओं से हम सभी वाकिफ हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे भगवान विष्णु के अवतार थे। भगवद् गीता के अनुसार श्री कृष्ण का इस धरती पर अवतार द्वापर युग में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि उस युग में चारों ओर पाप कृत्य हो रहे थे और धर्म नाम की कोई चीज नहीं रह गई थी। इसलिए भगवान विष्णु ने स्वयं कृष्ण के रूप में अवतार लिया जिससे कि धर्म की पुनर्स्थापना हो सके। खैर, यह तो थी श्री कृष्ण के जन्म की कहानी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने मानव शरीर को कब त्यागा था। अगर आप नहीं जानते हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं श्री कृष्ण की मृत्यु का राज। भारत का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान जगन्नाथ पुरी है। यही श्री कृष्ण की मृत्यु का राज है। यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु यहां पर साक्षात विराजमान हैं और यहीं पर है श्री कृष्ण की मृत्यु से जुड़ा राज। कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया तो उनकी शक्ति तो अलौकिक थी, लेकिन शरीर तो मानव का ही था जो कि नश्वर होता है और एक न एक दिन उस शरीर को त्यागना पड़ता है। जब भगवान श्री कृष्ण की लीला समाप्त हुई तो वे धरती पर अपने इस अवतार और देह को छोड़कर स्वधाम चले गए थे। पांडवों ने उनकी देह का अंतिम संस्कार कर दिया। इस दौरान उनका पूरा शरीर तो जलकर नष्ट हो गया, लेकिन उनका दिल जलता ही रहा। पांडवों ने इस जलते हुए दिल को जल में प्रवाहित कर दिया, तब यह लट्ठे के रूप में परिवर्तित हो गया। यह लट्ठा राजा इंद्रदुयम को मिल गया। उनकी आस्था भगवान जगन्नाथ में थी। वे उस लट्ठे को ले आए और भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर स्थापित कर दिया। यह है श्री कृष्ण की मृत्यु का राज। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का वह अंश तब से वहीं पर है। हालांकि हर 12 वर्ष के बाद मूर्ति बदली जाती है, लेकिन वह अंश अपरिवर्तित ही रहता है। इसके अलावा और भी कई सवाल हैं। क्या आपको पता है कि श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई थी? कैसे उनके यदुवंश का नाश हुआ? आपको हम बता रहे हैं श्री कृष्ण की मृत्यु और यदुवंश के विनाश के कारण। हिंदू धर्म में विष्णु के अंतिम अवतार श्री कृष्ण के साथ कई रोचक प्रश्न जुड़ते हैं। दरअसल, श्री कृष्ण हिंदू धर्म के संपूर्ण अवतार कहे जाते हैं। उन्हें एक बेहतरीन राजनेता और 64 कलाओं का स्वामी भी माना गया है। हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को इस संपूर्ण चराचर जगत के सृजनहार, पालनकर्ता और संहारक के रूप में देखा गया है। हिंदू धर्म के अनुसार जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है, तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। अब तक हिंदू धर्म में जितने भी अवतार हुए हैं, वे केवल और केवल विष्णु के ही हैं। अब तक श्री हरि विष्णु नौ अवतारों में इस पृथ्वी पर आ चुके हैं। इनमें मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, मोहिनी अवतार, वराहावतार, नरसिंहावतार, वामन् अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार व कृष्णावतार शामिल हैं। कृष्णावतार विष्णु का आखिरी अवतार था, जो पृथ्वी पर अवतरित हुआ। इस अवतार में विष्णु ने अपना विराट स्वरूप/विश्वरूप धारण किया था, जबकि इसके बाद वे कल्कि अवतार में आएंगे। कृष्ण हिंदू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी, पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। ब्रह्मपुराण के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अट्ठाइसवें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे और इसे ही जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, श्री कृष्ण की मृत्यु और उनके संपूर्ण यदुवंश के विनाश का कारण बना कौरवों की मां गांधारी का वह श्राप, जो उन्होंने महाभारत के युद्ध के बाद श्री कृष्ण को दिया था। गांधारी ने महाभारत के युद्ध के लिए श्री कृष्ण को दोषी ठहराते हुए कहा था कि जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है, ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App