कच्ची उम्र में ही तीन बेटियां शादी की बेडि़यों में हुई कैद

By: Mar 25th, 2018 12:20 am

नाहन— जिला सिरमौर के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में अनपढ़ता आज भी बालिकाओं के लिए अभिशाप बन रही है। भले ही सरकार दावे करती है कि प्रदेश में साक्षरता दर बढ़ रही है। खासकर सरकार द्वारा बालिकाओं की शिक्षा पर बल दिया जा रहा है, लेकिन जिला सिरमौर के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों की बेटियां आज भी शिक्षा से कोसों दूर है। सरकार की बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान की पोल जिला सिरमौर में खुलती नजर आई जहां तीन नाबालिग बेटियों को विवाह बंधन में बांधा गया। जानकारी के मुताबिक जिला सिरमौर की ग्राम पंचायत कोटीबौंच के जीहर गांव में 14, 15 व 16 साल की बेटियों को गृहस्थी की बेडि़यों में जकड़ा गया। इन बेटियों का विवाह 17, 18 व 22 वर्ष के लड़कों के साथ किया गया। इस बात का खुलासा चाइल्ड हेल्पलाइन द्वारा किया गया। जानकारी के मुताबिक चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर किसी ने सूचना दी कि गिरिपार क्षेत्र की ग्राम पंचायत कोटीबौंच के जीहर गांव के दलित परिवार की तीन नाबालिग लड़कियों का विवाह किया गया है। चाइल्ड हेल्पलाइन से सूचना के बाद चाइल्ड हेल्पलाइन सिरमौर की टीम ने क्षेत्र का दौरा किया। जांच पड़ताल करने पर पाया गया कि उपरोक्त गांव की 14, 15 व 16 साल की तीन नाबालिग बेटियों का विवाह किया गया है। चाइल्ड हेल्पलाइन सिरमौर की काउंसलर विनिता ठाकुर ने बताया कि जब चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम दुर्गम इलाके में पहुंची तो पाया कि जिन दलित परिवारों ने नाबालिग बेटियों का विवाह किया है, उनकी माली हालत बहुत खस्ता है। आलम यह है कि इनमें से दो परिवारों के पास तो छत तक नसीब नहीं है। जानकारी के मुताबिक जीहर गांव की दो बेटियों का विवाह झकांडो में हुआ है, जबकि एक नाबालिग का विवाह जामना गांव में किया गया है। चाइल्ड हेल्पलाइन ने न केवल विवाहिता नाबालिग बेटियों को उनके अभिभावकों को सौंपा है, बल्कि उनकी काउंसलिंग भी की गई है। बताते हैं कि उपरोक्त तीनों ही परिवार बेहद गरीबी में गुजर बसर कर रहे हैं। सरकार द्वारा पंचायतों की मार्फत बीपीएल व आईआरडीपी जैसे परिवारों को घर मुहैया करवाने की बात की जाती है, लेकिन शिलाई क्षेत्र की कोटीबौंच पंचायत के यह दलित परिवार आज भी छत के लिए तरस रहे हैं। बताते हैं कि यदि ग्राम पंचायत व स्थानीय प्रशासन द्वारा जागरूकता अभियानों में इन पंचायतों व लोगों को शामिल किया जाता तो आज नाबालिग बेटियां कच्ची उम्र में नहीं ब्याही जाती। चाइल्ड हेल्पलाइन की काउंसलर विनिता ठाकुर ने बताया कि उन्होंने तीनों बेटियों को उनके मायके भेज दिया है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर वार्ड सदस्य संत राम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संगीता व चाइल्ड हेल्पलाइन टीम के सदस्य सुंदर सिंह भी मौजूद थे।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के दावों की खुली पोल

सरकार द्वारा  बेटी बचाआ,बेटी पढ़ाओ अभियान तो चलाया गया है, लेकिन जिला सिरमौर के दुर्गम इलाकों में इस अभियान की पोल खोलकर रख दी है। इस इलाके में खासकर दलित परिवारों की बेटियां न केवल कच्ची उम्र में ब्याही जा रही हैं, बल्कि वह शिक्षा से भी कोसों दूर हैं। एक तरफ तो शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश में शून्य ड्रॉप आउट पर बल दिया जा रहा है, दूसरी ओर जिला सिरमौर में शिक्षा विभाग के शून्य ड्रॉप आउट का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि आज भी नाबालिग लड़कियों का विवाह अनपढ़ता के कारण किया जा रहा है।


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