कभी नहीं दिखेगा वह हंसता-मुस्कराता चेहरा

By: Mar 20th, 2018 12:03 am

दमदार लेखनी से अमिट छोड़ने वाले सीनू के निधन से हर शख्स गमगीन

बिलासपुर — सुनील शर्मा….उर्फ सीनू! परिवार या जान पहचान के किसी भी व्यक्ति के सम्मुख जब यह नाम लिया जाता तो एक हंसमुख चेहरा उनकी आंखों के सामने आ जाता। बचपन से ही लेखन के प्रति गहरी रुचि रखने वाले सीनू की पढ़ाई हालांकि इंग्लिश मीडियम स्कूल शिमला में हुई थी, लेकिन बावजूद इसके हिंदी पर उनकी पकड़ बेमिसाल थी। इतना ही नहीं, वह एक पर्यावरण प्रेमी भी थे। डेढ़ दशक तक अपनी दमदार लेखनी के बूते मीडिया जगत में इस कलम के सिपाही ने एक अलग पहचान कायम की। सोमवार को जैसे ही उनके आकस्मिक निधन की खबर मिली तो कोई भी सहज विश्वास नहीं कर पाया। हर किसी की आंखों के आगे उनका हंसता मुस्कुराता चेहरा नजर आने लगा। 13 अक्तूबर, 1969 को जन्मे सुनील शर्मा की शिक्षा शिमला में ही हुई। उनके पिता स्व. राजेंद्रलाल शर्मा वन विभाग में सेवारत थे। सुनील का एक बड़ा भाई और दो बहनें हैं। केमिस्ट्री सब्जेक्ट में एमएससी सुनील शर्मा का पर्यावरण के प्रति गहरा प्रेम था, जिसके चलते उन्होंने पर्यावरण विज्ञान में डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद लेखन की दुनिया में कदम रखा। खास बात यह है कि शुरू से लेकर अब तक वह एक ही अखबार में सेवारत रहे। वह वर्तमान में स्टेट इंचार्ज पद पर सेवारत थे और मीडिया जगत में दमदार लेखनी के लिए जाने जाते हैं। इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए ‘दिव्य हिमाचल’ के बिलासपुर जिला कार्यालय में अश्वनी पंडित, शुभम राही, विकास कुमार, राजकुमार सेन, जितेंद्र ठाकुर और सुरजीत सिंह ने उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा।

काश! यूं दगा न देता दिलवाले सुनील का दिल

मटौर – ‘अपना तो एक उसूल है पंडित जी, मुंह पर सच बोले ताकि न दिलों पर बोझ रहे और न ही दिलों में दूरियां।’ यही शब्द सुनील शर्मा ने कहे थे, जब कुछ दिन पहले उनसे फोन पर रूटीन से जरा लंबी बात बेतकुल्लफी में हुई थी। पता था सुनील वही कह रहे थे, जिसे वे जीते हैं, इसलिए जवाब में हंसते हुए कहा था, ‘आप पर तो कम से कम यह बात सटीक बैठती है।’ काश! उस वक्त कहा होता कि दिल की हालत का ख्याल फिर भी रखा करें पंडित जी, जमाना बदल रहा है। क्या मालूम था कि वही दिल कच्ची उम्र में सुनील शर्मा को दगा दे जाएगा, जिस पर वह जरा वजन डालने के हिमायती नहीं थे। अब सोचने बैठें तो कहने को किस्से हजार होंगे। आखिर, 19 साल का अरसा रिश्तों को समझने, परखने और जीने के लिए कम नहीं होता। एक आदत सी हो जाती है एक-दूसरे की। हमारे आमने-सामने बैठकर मिलने के मौके कम ही होते थे। साल में बमुश्किल दो-एक बार। पर लंबे समय से शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरा हो, जब फोन पर बात न हुई हो। वजह बेशक एक ही संस्थान में दो अलग-अलग स्थानों पर काम करना हो, बातचीत कब दिलों के रिश्ते में बदली, पता ही नहीं चल पाया। एक समाचार पत्र में डेस्क और फील्ड स्टाफ के बीच शिकायतों और स्नेह का सिलसिला कोई नई बात नहीं, लेकिन स्टेट ब्यूरो चीफ जैसे पद पर बैठे सुनील शर्मा ने डेस्क पर किसी भी कर्मचारी से कड़वी बात की हो, ऐसा कभी नहीं हुआ। न कभी बाइलाइन का तकाजा, न ही कभी सही प्लेसमेंट न मिलने की शिकायत। बातचीत के दौरान डेस्क ने जब खेद जताने की कोशिश भी की तो सुनील शर्मा का जवाब यही रहता, ‘जाने भी दीजिए, मैं प्रेशर समझता हूं। बाइलाइन का क्या है, फिर छप जाएगी।’ अफसोस, न सुनील शर्मा की बाइलाइन अब कभी नहीं छप पाएगा और न ही उनकी लिखी खबरें, जो अकसर हिमाचल को हिलाती रही हैं। सुनील शर्मा के असमय देहावसान से उनकी पत्नी, बच्ची, परिवार और सगे-संबंधियों की अपूर्णीय क्षति हुई है, पर यह दर्द ‘दिव्य हिमाचल मीडिया समूह और डेस्क का पीछा भी हरगिज नहीं छोड़ेगा। अब हर रात आठ बजे सुनील शर्मा का वह फोन कभी नहीं आएगा, जिसके जरिए वह पछूते थे कि कुछ और न्यूज तो नहीं चाहिए? ‘दिव्य हिमाचल संस्थान वह फोन कॉल भी कभी नहीं भूलेगा, जिसके जरिए सुनील शर्मा के निधन का समाचार मिला और जिसे सुनते ही हर चेहरे कर रंग उड़ गया था और ‘दिव्य हिमाचल’ 19 मार्च, 2018 की वह ढलती दोपहर भी कभी भुला नहीं पाएगा, जब उनके निधन के बाद संस्थान के प्रांगण में आयोजित शोक सभा में ‘दिव्य हिमाचल मीडिया ग्रुप’ के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ के गले रुंधे थे और आंखें नम। इस दौरान कितनी और पलकें भीगी थीं, यह देखने की हिम्मत किसी की न थी। शायद मद्धम पड़ते उस सूरज की भी नहीं, जो सुनील शर्मा के जाने से मुरझाए चेहरे देखकर खुद भी हिचकियां समेट रहा था।

मीडिया जगत में मायूसी

यह सरासर धोखा है। यूं जाने का कोई मतलब नहीं। यह तरीका नहीं था जाने का मेरे भाई

नवनीत शर्मा

राज्य संपादक, दैनिक जागरण

सुनील शर्मा का यूं जाना हृदय विदारक है। अच्छे लोग कभी नहीं मरते

कृष्ण भानु, वरिष्ठ पत्रकार

सुनील जी के अनंत यात्रा पर चले जाने की खबर सुनकर मैं अवाक रह गया। बड़ी क्षति है यह

गिरीश गुरुरानी, वरिष्ठ पत्रकार

सुनील जी ने जनता से जुड़े कई मुद्दों को उठाया। वह नाकारात्मक खबरों को छोड़ विकासात्मक समाचारों को तव्वजो देते थे। उनकी आत्मा को भगवान शांति दे

अर्चना फुल्ल

राज्य ब्यूरो प्रमुख, स्टेट्समैन

हिमाचल ने युवा व स्पष्टवादी पत्रकार खो दिया। उन्होंने पत्रकारिता के दौर में कभी हार नहीं मानी। प्रदेश में उनकी कमी हमेशा खलेगी

प्रतिभा चौहान राज्य ब्यूरो प्रमुख, दि ट्रिब्यून 

सुनील शर्मा हमेशा ऊर्जा से भरे रहते थे। उनके निधन की खबर पर विश्वास नहीं हो रहा देव के पांधी

संपादक, हिमाचल ट्रिब्यून

जुझारू पत्रकार के निधन से समूचा पत्रकारिता जगत सन्न है। लगता है, बहुत कुछ खो दिया

विनोद भावुक,  वरिष्ठ पत्रकार

‘दिव्य हिमाचल’ मुख्यालय शोकाकुल

राज्य ब्यूरो प्रमुख सुनील शर्मा का निधन अपूर्णीय क्षति करार

दिव्य हिमाचल डेस्क

‘दिव्य हिमाचल मीडिया ग्रुप’ के राज्य ब्यूरो प्रमुख सुनील शर्मा के आसमयिक निधन पर संस्थान के सीएमडी भानु धमीजा ने गहरा शोक जताया है। उन्होंने सुनील शर्मा के योगदान को अतुलनीय बताकर उनके अवसान को ‘दिव्य हिमाचल’ परिवार के लिए अपूर्णीय क्षति करार दिया है। प्रधान संपादक अनिल सोनी ने सुनील शर्मा के देहावसान को ‘दिव्य हिमाचल’ संस्थान की ऐसी हानि बताया, जिसकी भरपाई असंभव है। सीएमडी व प्रधान संपादक ने शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना जताते हुए दिवंगत  पुण्यात्मा की शांति की कामना की। महाप्रबंधक विनय बलेरा ने सुनील शर्मा को हर मोर्चे पर संस्थान का सच्चा योद्धा करार दिया। डेस्क प्रभारी संजय अवस्थी ने कहा कि उन्होंने एक कर्मठ सहयोगी और सच्चा मित्र खो दिया। प्रभारी अनिल अग्निहोत्री ने कहा कि वह इस दुःख को शब्दों में बयान नहीं कर सकते। प्रभारी राजेश शर्मा ने सुनील शर्मा के निधन को अपूर्णीय क्षति बताया। प्रभारी ओंकार सिंह का कहना था कि यह कभी न भरने वाला घाव है। प्रभारी जीवन ऋषि ने इसे प्रेरणा का अवसान करार दिया। हिमाचल दिस वीक प्रभारी राजीव फुल्ल ने सुनील शर्मा के देहावसान को बड़ी क्षति करार दिया। फीचर प्रभारी राजेंद्र ठाकुर ने भी घटना को बड़ा आघात बताया। मार्केटिंग प्रभारी राघवेंद्र मिश्रा, राजेश सांख्यान, चीफ मैनेजर मार्केंटिंग मनोज गर्ग, सुनील कंवर और सर्कुलेशन प्रभारी विवेक दत्ता व राजेश राणा ने सुनील शर्मा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रशासनिक प्रबंधक काहन सिंह ठाकुर ने इसे संस्थान की बड़ी क्षति बताया, जबकि लीग एडवाइजर विश्वचक्षु पुरी ने सुनील शर्मा के देहावसान को जोरदार आघात करार दिया। ‘दिव्य हिमाचल’ परिवार के समस्त सदस्यों ने भी सुनील शर्मा के निधन पर दुख जताते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना जताई है।

संवेदनाओं का दौर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगतप्रकाश नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल, लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं पूर्व मंत्री मुकेश अग्निहोत्री, शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह, सांसद शांता कुमार, वीरेंद्र कश्यप, राम स्वरूप शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, मीडिया विभाग के चेयरमैन नरेश चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष गणेश दत्त, रूपा शर्मा, मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा, प्रदेश सचिव एवं मीडिया प्रमुख प्रवीण शर्मा, जिला मीडिया प्रभारी करण नंदा, विधायक सुभाष ठाकुर, नयनादेवी के पूर्व विधायक रणधीर शर्मा, घुमारवीं के विधायक राजेंद्र गर्ग व झंडूता के विधायक जेआर कटवाल व पूर्व विधायक रिखीराम कौंडल के साथ ही नयनादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर, सदर के पूर्व विधायक बंबर ठाकुर, घुमारवीं से राजेश धर्माणी, झंडूता से बीरूराम किशोर और नगर निगम महापौर कुसुम सदरेट ने ‘दिव्य हिमाचल’ के ब्यूरो चीफ  सुनील शर्मा के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है। भाजपा नेताओं ने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की है कि दिवंगत आत्मा की प्रार्थना की है।

मां से कहा था, तबीयत ठीक नहीं

बड़े भाई राकेश शर्मा कहते हैं कि बीती दो फरवरी को स्व. पिता के चर्तुवार्षिक श्राद्ध के लिए सुनील शर्मा (सीनू) घर आए थे। उसके बाद उनका घर आना नहीं हुआ। हालांकि रविवार को माता गोदावरी देवी से सुनील शर्मा की बात हुई तो सुनील शर्मा ने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। सोमवार दोपहर को शिमना से उनके भांजे से मोबाइल फोन पर खबर आई कि मामू की हालत ठीक नहीं है, आप आ जाओ। जैसे ही वह शिमला जाने के लिए रवाना हुए तो थोड़ा आगे पहुंचने पर फिर फोन आया कि सुनील शर्मा अब नहीं रहे। यह सुनकर उनके पांव तले जमीन खिसक गई और वह एकदम सन्न रह गए। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि उनका लाड़ला भाई अब इस दुनिया में नहीं है। रो-रोकर पूरे परिवार का बुरा हाल है।

आशियाना बनाया, पर रहना नसीब नहीं

राज्य ब्यूरो प्रमुख सुनील शर्मा ने शहर के रौड़ा सेक्टर में हाल ही में नया मकान बनाया है, जिसे उन्होंने किराए पर दे रखा है। वह परिवार के लिए आशियाना तो बना गए, लेकिन खुद रहने का अवसर नहीं मिल सका। शायद कुदरत को कुछ और ही मंजूर था।

मम्मी! पापा क्यों सोए हैं, उठ क्यों नहीं रहे

सुनील शर्मा अपने पीछे धर्मपत्नी रजनी शर्मा और 14 वर्षीय बच्ची मिताली को छोड़ गए हैं। सुनील शर्मा के आकस्मिक निधन पर पत्नी व बेटी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बेटी बार-बार मां से पापा के बारे में पूछ रही है कि मम्मी पापा को क्या हुआ। वह उठ क्यों नहीं रहे। हर रोज घर पहुंचकर प्यार और दुलार करने वाला पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा। पत्नी इस सदमे से अपने होश खो बैठी है।

तीन दिन पहले साथ खाया था खाना

बिलासपुर सदर के विधायक सुभाष ठाकुर ने कहा कि सुनील शर्मा के आकस्मिक निधन से बहुत दुखी हूं। वह मेरे बड़े अजीज मित्र थे। अभी परसों ही विधानसभा में इकट्ठे लंच किया था। ऐसे में विश्वास नहीं हो रहा कि कलम के सिपाही सुनील शर्मा अब इस दुनिया में नहीं हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।

उसूलों के पक्के बेदाग-ईमानदार छवि के थे सुनील 

शिमला — ‘दिव्य हिमाचल मीडिया ग्रुप’ के राज्य ब्यूरो प्रमुख सुनील शर्मा का जाना पत्रकारिता जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। सुनील शर्मा मीडिया ग्रुप के ब्यूरो प्रभारी के तौर पर कई सालों से शिमला में तैनात थे। सुनील शर्मा उसूलों से समझौता नहीं करते थे। उनकी छवि बेदाग और ईमानदार पत्रकार के तौर पर जानी जाती थी। वह हमेशा दबे-कुचलों की आवाज उठाने के लिए तत्पर रहते थे। उनके लेखन में ताकत थी। राजनीतिक से लेकर प्रशासिक तबके में उनकी खबरों के चर्चे होते थे। उनमें मुद्दों को समझने की बड़ी परख थी। वह स्पष्टवादी व मजाकिया स्वभाव के भी थे। सुनील शर्मा के एकाएक जाने से पत्रकार वर्ग आहत है।

शोक सभा कल

शिमला — प्रेस क्लब शिमला में युवा पत्रकार सुनील शर्मा के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है। क्लब के अध्यक्ष धनंजय शर्मा, महासचिव अनिल हैडली तथा संचालन परिषद के तमाम सदस्यों व पदाधकारियों ने ईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है।  21 मार्च को प्रेस क्लब में शोक सभा का आयोजन 12 बजे किया जाएगा।


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