कामकाजी महिलाओं के जज्बे को सलाम

By: Mar 7th, 2018 12:05 am

आपाधापी के इस दौर में कामकाजी महिलाएं जिम्मेदारी की डोर से बंधी हुईं हैं। समाज, परिवार और कारोबार में जिम्मेदारी का एहसास और समय का सही प्रबंधन ही वह अस्त्र है, जिससे कि महिलाएं तमाम मुसीबतों पर विजय पा रही हैं। ऐसी कामकाजी महिलाओं के जज्बे को सलाम, जो अपने परिवार के पालन-पोषण से लेकर दफ्तर और कारोबार की जिम्मेदारी भी सहज तरीके से निभा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ऐसी ही खुद्दार महिलाओं से आपको रू-ब-रू करवा रहा है…..

कुल्लू से शालिनी राय भारद्वाज की रपट

 

ठोस कानून बनाने की जरूरत

समाज सेविका  इंदिरा शर्मा का कहा है कि महिलाओं को भले ही आज सम्मान पूरा पुरुषों के मुकाबले मिल रहा हो, लेकिन आज भी बेटी होने पर लोग इसे जन्म से पहले मारने से गुरेज नहीं करते। महिलाओं के हित्त में ठोस काननू बनने जरूरी है। क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में पिछले छह-सात महीनों से महिला डाक्टर नहीं है।

राजनीति में  मिले 50 फीसदी आरक्षण

जिला परिषद सदस्य प्रेम लता ठाकुर का कहना है कि नारी को हर जगह सम्मान हक की बात की जाती है। लेकिन आज भी कहीं न कहीं नारी पीछे है। राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया है, लेकिन यह आरक्षण 33 नहीं बल्कि 50 प्रतिशत   होना चाहिए।

महिलाओं को न समझें कमजोर

पर्यावरण प्रेमी कल्पना ठाकुर कहती हैं कि किसी भी महिला को अपने आप को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। महिला दिवस एक खास दिवस है। इस दिन समाज के लिए कार्य कर रही महिलाओं को एक मंच प्रदान होना चाहिए। ताकि अन्य महिलाएं उनके कार्यो को देख प्रेरित हो सके

उपलब्धियों पर मिले सम्मान

जिला परिषद सदस्य सीता राखा ने कहा कि समाज में अहम भूमिका निभाने वाली महिलाओं को इस दिन सम्मान मिलना चाहिए। देश का नाम रोशन करने वाली बेटियों को भी सम्मान देना चाहिए। मुझे गर्व है कि मैं किसी की बेटी हूं। राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए।

गर्व है बेटियों पर

सुदर्शना ठाकुर कहती हैं कि  कुल्लू-मनाली व जिला लाहुल-स्पीति की बेटियों ने आज हर क्षेत्र में जिला का नाम देशभर में रोशन किया है। जिला से संबध रखने वाली बेटियों ने हर क्षेत्र में मुकाम हासिल कर देश का नाम ऊंचा कर दिया है। इन बेटियों को महिला दिवस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए, ताकि इनका हौंसला बरकरार बना है। भले ही मेरी बेटियां नहीं है, लेकिन जिन बेटे व बेटियों को मैं अपने एनजीओ के माध्यम से देखरेख करती हूं। वह मुझे जान से भी ज्यादा प्यारी है।


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