काम नहीं, तो संसद क्यों

By: Mar 22nd, 2018 12:05 am

नर्मदा नेगी, नाहन

किसी देश की संसद 13 दिनों तक न चलने का मतलब है संसद मुद्दों पर बहस के लिए नहीं सिर्फ रंजिशों के लिए रह गई है। जहां जनता की समस्याओं का समाधान होना चाहिए, वहां व्यवधान पड़ रहा है। यह तो हो गया कि 13 दिन संसद नहीं चली, पर इन सांसदों के वेतन-भत्ते तो बन ही गए। ऐसी संसद का फायदा ही फिर क्या है, जहां काम ही न हो। अकेले सत्तापक्ष को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता, विपक्ष भी कहीं न कहीं कसूरवार है। क्या देश में सब कुछ गलत ही हो रहा है? असल बात तो यह है कि जब किसी को कुर्सी का सुख नहीं मिलता, तो वह तिलमिला जाता है। देश में ऐसा कोई प्रावधान होना चाहिए कि जो सांसद या विधायक संसद या सदन को चलाने में बाधा पहुंचाता है, उसके लिए सजा का प्रावधान हो। इन लोगों ने संसद को दंगल का अखाड़ा बना दिया है। प्राइमरी स्कूल के बच्चों की तरह संसद में लड़ते-झगड़ते इन सांसदों को पूरा देश लाइव देखता है और तब लोगों को एहसास होता है कि उन्होंने गलत नेता चुनकर संसद में भेज दिया। संसद चलेगी तो देश चलेगा। चुनाव तो आते-जाते रहेंगे। नेता बदलते रहेंगे, पर इनकी नीयत कब बदलेगी कहा नहीं जा सकता। किसी सत्र में एक दिन भी संसद न चलने का इस बार कहीं रिकार्ड ही न बन जाए। अब देश में राजनीति नहीं रणनीति रह गई है। संसद को रणभूमि बनाने वाले ये नेता अपने वेतन-भत्तों के मामले में कितनी जल्दी एकजुट हो जाते हैं, यह सब ने देखा है।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App