काली क्यों खड़ी है शिव की छाती पर ?

By: Mar 17th, 2018 12:07 am

एक बार राक्षसी शक्तियों ने दुनिया पर कब्जा करना शुरू कर दिया। जब राक्षसी शक्तियों की ताकत बहुत बढ़ गई, तो काली क्रोधित हो उठीं। गुस्से में आकर वह मार-काट पर उतर आईं, उन्होंने अपने सामने आने वाली हर चीज का नाश करना शुरू कर दिया। किसी में इतना साहस नहीं हो पा रहा था कि उनके सामने जाकर उन्हें रोके। अंत में कोई रास्ता न देख लोग शिव के पास गए और उन्होंने उनसे प्रार्थना की। शिव काली की ओर बढ़े। चूंकि शिव काली को अच्छी तरह से जानते थे, इसलिए वे किसी टकराव की बजाय पूरी सहजता से उनकी ओर आगे बढ़े। लेकिन क्रोध में भरी काली ने उन्हें भी मार गिराया, शिव मर कर नीचे गिर पड़े और काली उनकी छाती पर खड़ी हो गईं। जब काली शिव के ऊपर खड़ी हुईं तो उनको एहसास हुआ कि उन्होंने क्या कर डाला? यह कथा ऊर्जा के स्त्रैण पक्ष या स्त्री-गुण को सामने लाती है जो बताती है कि यह कैसे काम करती है।

स्त्रैण ऊर्जा एक मौलिक गुण है

मैं यहां स्त्री की नहीं, बल्कि स्त्रैण प्रकृति की बात कर रहा हूं। चूंकि यह एक मौलिक तत्त्व होता है, इस तत्त्व का अपने आप पर कोई नियंत्रण नहीं होता। या तो यह एक जगह ठहरा हुआ होता है या फिर यह जब किसी खास रूप में आ जाता है, तो फिर इसे संभालना मुश्किल हो जाता है। फिर इसे ठंडा करने या रोकने के लिए किसी अलग तरीके की जरूरत होती है, वर्ना यह अपने चरम रूप में जारी रहता है। तो काली की रौद्रता इस स्तर पर पहुंच गई, जिसने शिव को भी गिरा डाला। उसके बाद उन्हें सच्चाई का एहसास हुआ, उनका क्रोध कम हुआ और उन्होंने फिर से शिव में प्राण फूंके।

तंत्र का कामुकता से कोई संबंध नहीं

जब हम तंत्र का जिक्र करते हैं, क्योंकि आज ज्यादातर तांत्रिक किताबें अमरीकियों द्वारा लिखी जाती हैं, इसलिए आज ज्यादातर लोग समझते हैं कि तंत्र का मतलब बेलगाम यौन (सेक्स) संबंध है। उनकी यह सोच उनके पास उपलब्ध विज्ञापनों, पत्रिकाओं या किताबों से बनी है। जबकि तंत्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है। तंत्र का मतलब है एक तकनीक, एक विधि। तंत्र का मतलब है परम अनुशासन (जबरदस्त डिसिप्लिन)। यह एक ऐसी तकनीक या विधि या क्षमता है, जिससे कोई अपनी जिंदगी खत्म करके फिर से बना सकता है।

ऐसी विद्या से क्या फायदा होगा?

आखिर इस सबका मतलब क्या है? इसके पीछे मतलब सिर्फ इतना है कि आप अपने जीवन पर इतनी महारत हासिल कर लें कि जीवन और मृत्यु दोनों ही पूरी तरह से आपके हाथों में हो। यह कोई चमत्कार नहीं है, जो आप औरों को दिखाना चाहते हैं, बस आप तो अपने जीवन पर पूरी तरह से महारत हासिल करना चाहते हैं। जब तक आप अपने जीवन पर महारत हासिल नहीं कर लेते, तब तक आप कुछ नहीं कर सकते। आप में से हरेक को अपने जीवन पर कुछ न कुछ महारत तो होगी। वर्ना तो आप कुछ नहीं कर पाएंगे। जीवन पर आपकी महारत के स्तर से ही तय होता है कि आप जीवन में कितना कर पाएंगे। तंत्र में जीवन पर पूरी तरह से महारत हासिल कर ली जाती है।

-सद्गुरु जग्गी वासुदेव


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