ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का कारण बनी कार्बन डाइआक्साइड

By: Mar 14th, 2018 12:05 am

कुछ अन्य कारणों के साथ ही यही कार्बन डाइआक्साइड ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का कारण बन चुकी है। इसके निरंतर उत्सर्जन के कारण गर्मी भी लगातार बढ़ती ही चली जा रही है।  इस गर्मी के बढ़ने से प्राकृतिक मौसम चक्र की  मर्यादा पर कुठाराघात होने लगा है…

गतांक से आगे…

पिघलते ग्लेशियरों के दुष्प्रभाव:

छोटे से इस प्रदेश में एक लाख की आबादी पर  लगभग चार हजार से भी अधिक मात्रा में गाडि़यां हैं, जो 30 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कों पर दौड़ती हैं। (सर्वेक्षण 2008) वर्ष 2014 के  अंत तक प्रदेश में गाडि़यों की संख्या प्रति लाख आबादी पर बढ़कर 4200 हो गई। कुछ अन्य कारणों के साथ ही यही कार्बन डाइआक्साइड ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का कारण बन चुकी है। इसके निरंतर उत्सर्जन के कारण गर्मी भी लगातार बढ़ती ही चली जा रही है।  इस गर्मी के बढ़ने से प्राकृतिक मौसम चक्र की  मर्यादा पर कुठाराघात होने लगा है। प्रतिकूलता के साथ प्रभावित हो रहा मौसम चक्र हमारी फसलों की पैदावार पर  भारी पड़ने लगा है। यही नहीं, धरती की उपजाऊ शक्ति के अपने लालच की पूर्ति हेतु अत्यधिक दोहन के कारण यह भी  अब घटने लगी है। इस प्रकार फसलों की उपज पर मानवीय कारणों की दो तलवार की पड़ती मार भविष्य के लिए भुखमरी के पड़ने के पूर्व संकेत हैं, जिसे हल्के ढंग से नहीं लिया जाना चाहिए। हमने भारत में बढ़ती जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए हरित क्रांति का बिगुल बजाया। समस्या की गंभीरता से तात्कालिक छुटकारा  तो पा लिया, परंतु  बढ़े हुए उत्पादन के स्तर को भविष्य के लिए बनाए रखने में हम कहां तक सफल हो रहे हैं।


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