जब तक आय, तब तक गाय

By: Mar 24th, 2018 12:05 am

सुरेश  कुमार, योल

किसी काम से जालंधर जाना हुआ, तो सुबह कांगड़ा बस स्टैंड पहुंचा। सर्दी का मौसम और कड़ाके की ठंड। सामने देखा तो एक गाय कचरे में मुंह मार रही थी, शायद कुछ खाने की चीजें उस कचरे से ढूंढ रही थी। तभी मेरे जहन में आया कि इस गाय पर तो देश में बड़ी सियासत होती है, बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं और यहां बेचारी गाय कचरे में मुंह मार रही थी। हमारे देश में तो गाय को मां की संज्ञा दी गई है और क्या भारत में मां की यही दुर्गति है। हाई कोर्ट ने हर पंचायत में एक गोशाला बनाने का आदेश दे रखा है, पर मजाल है कि हाई कोर्ट के आदेशों पर कोई अमल हो। हिमाचल में कई दुर्घटनाएं तो इस वजह से होती हैं कि गौवंश सड़कों पर बैठा रहता है। भारतीय मानसिकता बदल चुकी है और यह उसी का नतीजा है कि जब तक गाय दूध देती है, तब तक उसे घर में रखा जाता है। जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है, तो उसे घर से बाहर निकाल दिया जाता है। मनुष्य शुरू से ही स्वार्थी रहा है और गाय के मामले में भी उसका स्वार्थ कम नहीं हुआ है। वैसे तो हमारे देश में गाय का खूब गुणगान किया जाता है, पर जब उसे संभालने की बात आती है तो सब पीछे हट जाते हैं। सरकार भी सिर्फ घोषणाएं ही करती है, पर कभी यह पता करने की कोशिस नहीं करती कि हाई कोर्ट ने जो गोशाला बनाने के आदेश दिए हैं, वे धरातल पर उतर भी रहे हैं या नहीं। जब तक गाय दूध देती है, तब तक ही लोग अब उसे घर में रखते हैं। जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है, तो वह सड़क पर होती है।

 


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