ज्ञान की शाखा में पर्यटन

By: Mar 26th, 2018 12:05 am

हिमाचल के हर विभाग में पर्यटन विस्तार की तस्वीर देखी जाए, तो प्रादेशिक तासीर में बदलाव आएगा। हम सर्वेक्षण या समीक्षा के जरिए यह पता लगाएं कि हर विभाग की कसौटी में कितना पर्यटन भरा है। उदाहरण के लिए शिक्षा और चिकित्सा विभागों के लक्ष्यों के साथ पर्यटन की अभिलाषा जुड़ती है, लेकिन ऐसा समझा ही नहीं गया। शिक्षा के जरिए पर्यटन को प्रोफेशन बनाने के औपचारिक पाठ्यक्रम जरूर तैयार हुए हैं, लेकिन बाहर से आ रहे पर्यटकों के लिए हिमाचल का शिक्षा ढांचा एक मंजिल सरीखा हो सकता है। प्रदेश में चल रहे संस्कृत महाविद्यालयों तथा गरली के संस्कृत विश्वविद्यालय की रूपरेखा में पर्यटक की क्षुधा को तृप्त करने की क्षमता पैदा की जा सकती है। संस्कृत में श्लोकोच्चारण तथा इसके माध्यम से अध्ययन के ऐसे कोर्स तैयार किए जा सकते हैं, ताकि देशी-विदेशी सैलानी अध्यात्म व चिंतन के भारतीय मूल्यों से साक्षात्कार कर पाएं। प्रदेश के प्रमुख मंदिर परिसरों में चल रहे संस्कृत महाविद्यालयों को प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्रों के रूप में प्रतिष्ठित करते हुए, विशेष पर्यटक पैकेज से जोड़ा जा सकता है। भारत के संगीत, नाटक व सांस्कृतिक पहलुओं से मुखातिब होकर जिस तरह अंतरराष्ट्रीय पर्यटक बनारस, कोलकाता या मैसूर का रुख करता है, उसी तरह हिमाचली मंदिरों के साथ सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना भी ऐसी जरूरत को पूरा करेगी। हिमाचल में रह रहे तिब्बती शरणार्थियों से सीखें तो हिमाचल की अपनी पृष्ठभूमि में बसे ज्ञान को ग्रहण करने का एक महत्त्वाकांक्षी पर्यटन छिपा है। तिब्बती समुदाय ने ज्ञान की अपनी शाखाओं का पर्यटन विकास के लिए जिस तरह इस्तेमाल किया, उसी तरह की भूमिका में हिमाचल को नए अवसर ढूंढने होंगे। बेशक शिक्षा हब की दृष्टि से युवा पर्यटन आज के युग की नई तलाश है। हिमाचल के कई शहरी कस्बे इस दृष्टि से खुद को युवा पर्यटन की मंजिल बना चुके हैं। सोलन, हमीरपुर, शिमला या धर्मशाला में छात्र समुदाय की उपस्थिति से पर्यटन की शाखाएं विस्तृत हुईं, तो पेईंग गेस्ट की अवधारणा मजबूत हो गई। इसी तरह खेलों की अधोसंरचना या आयोजनों को योजनाबद्ध किया जाए, तो खेल प्रशिक्षण या प्रदर्शन अपनी क्षमता में पर्यटन को रूपांतरित करेगा। क्रिकेट के जरिए ऐसे पर्यटन ने राष्ट्र का ध्यान आकृष्ट किया है, तो फुटबाल, हाकी तथा कबड्डी के आयोजनों से काफिला आगे बढ़ेगा। प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड अगर विभिन्न प्रवेश तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राज्य स्तरीय परिसर विकसित करे, तो परीक्षा तक की यात्रा से पर्यटन उद्योग के कदम चिन्हित होंगे। हिमाचल में चिकित्सकीय सेवाओं को अगर पर्यटन के नजरिए से सशक्त करें, तो हैल्थ टूरिज्म एक बड़ी आर्थिक सौगात बन सकता है। प्रदेश में आईजीएमसी और टीएमसी के बाद चंबा, हमीरपुर, नाहन, नेरचौक तथा एम्स की स्थापना से हैल्थ टूरिज्म की क्षमता भी विकसित होगी। ऐसे में कमोबेश हर मेडिकल कालेज तथा क्षेत्रीय अस्पतालों की क्षमता में चिकित्सा पर्यटन संबोधित किया जा सकता है। हैल्थ टूरिज्म अपने आप में चिकित्सकीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा है और जहां व्यावसायिक दक्षता, सेवा और सुकून परिभाषित होता है। आरंभिक तौर पर चिन्हित अस्पतालों में अगर रोग विशेष का इलाज, सर्जरी व विशेष माहौल के तहत उपचार उपलब्ध होगा, तो व्यावसायिक दृष्टि से मार्केटिंग पहली बार हिमाचल के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ेगी। प्राकृतिक चिकित्सा, योग व तत्संबंधी प्रयोग की कार्यशालाएं आज की पर्यटन अभिलाषा में समाहित हैं। ऐसे में प्रदेश का आयुर्वेद विभाग तथा आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान पपरोला, पंचकर्म सरीखी विधियों से भारतीय चिकित्सा पद्धति को पर्यटन का मजबूत आकर्षण बना सकते हैं। हिमाचल के पर्यटन महकमे को अब कुछ नए पैकेज स्वास्थ्य व आयुर्वेद, खेल तथा शिक्षा से मिलकर बनाने होंगे, ताकि सैलानियों की विविध ज्ञान पिपासा, शारीरिक सुकून तथा जानकारियों का ठौर बदल जाए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App