ड्रिल के पीरियड में निकलेंगे भविष्य के खिलाड़ी

By: Mar 26th, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

राज्य के विद्यालयों में लाखों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। प्रातःकालीन सभा व ड्रिल के पीरियड में अगर हर विद्यार्थी के बैटरी टेस्ट तथा फिटनेस कार्यक्रम पर ध्यान दिया जाता है, तो भविष्य के अच्छे फिट नागरिक तो देश को मिलेंगे ही साथ में खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी भी प्रदेश व देश को मिलेंगे…

हिमाचल प्रदेश महिला कबड्डी राष्ट्रीय स्तर पर आज शीर्ष पर है। इस मुकाम को हासिल करने के लिए कई प्रशिक्षकों व शारीरिक शिक्षकों का योगदान रहा है। कबड्डी हिमाचल के हर विद्यालय में खेली जाती है। लगभग हर शारीरिक शिक्षक को कबड्डी व खो-खो का ज्ञान होता है। सही खेल प्रतिभा को खोजने के लिए विद्यालय स्तर पर पैनी नजरों व प्रारंभिक खेल प्रशिक्षण कला की जरूरत होती है। इसलिए पारखी व प्रशिक्षण कार्यक्रम जानने वाला शारीरिक शिक्षक का अहम योगदान भविष्य के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकालने में हो जाता है। विद्यालय स्तर पर शारीरिक शिक्षक के पास छठी कक्षा में विद्यार्थी दस वर्ष की उम्र में आ जाता है, उस समय उसमें सबसे अहम मोटर क्वालिटी स्पीड के विकास की सही उम्र शुरू हो जाती है। यही कारण है कि अच्छे फिटनेस कार्यक्रम वाले शारीरिक शिक्षक के ड्रिल के पीरियड से भविष्य के विजेता खिलाड़ी निकलते हैं। हिमाचल प्रदेश में विद्यालय स्तर पर लगभग तीन हजार शारीरिक शिक्षक कार्यरत हैं, मगर आज तक कुछ दर्जन शारीरिक शिक्षक ही ऐसे हैं, जिन्हें अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम के कारण नाम व पहचान मिली है।

इनमें से एक स्वर्गीय ठाकुर हीरा सिंह भी हैं। इसी सप्ताह के शुरू में लंबी अढ़ाई वर्ष पैरालाइज की पीड़ादायक जिंदगी को अलविदा कह ठाकुर साहब पंचतत्त्व में विलीन हो गए। वैसे तो ठाकुर साहब 2008 में ही अपना सेवाकाल पूरा कर शिलाई विद्यालय से सेवानिवृत्त हो चुके थे, मगर राज्य स्तर की हर कबड्डी प्रतियोगिता में वह हाजिर होते थे। स्कूली स्टेट हो या विश्वविद्यालय की अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता हीरा सिंह ठाकुर सिरमौर की टीम के साथ-साथ जिस-जिस खेल छात्रावास में उसकी शिष्य होती थी, उन्हें शाबाशी देते नजर आते थे। कई वर्षों तक वह लगातार राज्य महिला खेल व राज्य कबड्डी प्रतियोगिता में शिरकत करते रहे। अपने सेवाकाल के समय में इन्होंने कई किशोरियों की प्रतिभा को पहचाना, उन्हें प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया और फिर राज्य व भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल छात्रावासों तक पहुंचाया। प्रियंका नेगी राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर में प्रशिक्षण जारी रखकर विजेता विश्वकप भारतीय टीम की सदस्य बनीं। रितु नेगी ने भी भारत का प्रतिनिधित्व किया, निर्मला चौहान व पुष्पा चौहान जैसे कई उम्दा खिलाडि़यों की नर्सरी देने वाले ठाकुर हीरा सिंह का जन्म 1951 को सिरमौर जिला के शिलाई क्षेत्र के गांव बांदली में हुआ था।

प्रारंभिक शिक्षा गांव के विद्यालय में प्राप्त करने के बाद मैट्रिक की पढ़ाई के लिए उन्हें शमशेर विद्यालय नाहन जाना पड़ा था। बाद में शारीरिक शिक्षक बनने के लिए सीपीएड कर सिरमौर के कई विद्यालयों में सेवा करते हुए बाद में कई वर्षों तक शिलाई विद्यालय में ठाकुर हीरा सिंह ने कई प्रतिभाओं को खोज कर उन्हें नई उड़ान दी। अपनी फिटनेस का ध्यान रखने वाले इस शिक्षक ने वैटरन एथलेटिक्स में भागीदारी कर गोला व तार गोला प्रक्षेपण में भी हाथ आजमाए थे। ठाकुर हीरा सिंह अपने पीछे तीन बेटों का हरा-भरा परिवार छोड़ गए हैं। एक बेटा शारीरिक शिक्षक है, दूसरा खेतीबाड़ी का काम देखता है तथा तीसरा भारतीय सेना में है। पिछले लगभग अढ़ाई वर्षों से ठाकुर साहब को पैरालाइज हो गया था, मगर वह जब भी खिलाडि़यों से मिलते, उन्हें सिखाने का पूरा-पूरा प्रयत्न करने लग जाते थे। पिछले वर्ष अक्तूबर में शिलाई जैसी छोटी सी जगह में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन करवाकर यह कबड्डी प्रेमी कई खिलाडि़यों व प्रशिक्षकों से मिला। पैरालाइज के दर्द में भी यह शारीरिक शिक्षक कबड्डी पर ही बात करना पसंद करता था। वर्षों तक ठाकुर हीरा सिंह जिला सिरमौर कबड्डी संघ के महासचिव भी रहे, राज्य स्तर पर होने वाली हर प्रतियोगिता में कई नए खिलाड़ी सामने लाने में इनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के विद्यालयों में नियुक्त शारीरिक शिक्षक ठाकुर साहब की तरह अपनी पसंद व प्रशिक्षण ज्ञान की किसी एक खेल को अपना कर काम करते हैं, तो हिमाचल की खेलों को एक नई दिशा व दशा मिलेगी। राज्य के विद्यालयों में लाखों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

प्रातःकालीन सभा व ड्रिल के पीरियड में अगर हर विद्यार्थी के बैटरी टेस्ट तथा फिटनेस कार्यक्रम पर ध्यान दिया जाता है, तो भविष्य के अच्छे फिट नागरिक तो देश को मिलेंगे ही साथ में खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी भी प्रदेश व देश को मिलेंगे। ठाकुर साहब से प्रेरणा प्राप्त कर शारीरिक शिक्षक अगर खेल प्रशिक्षण क्षेत्र में कार्य करते हैं, तो उन्हें पहचान व शोहरत भी मिलेगी। हिमाचल प्रदेश खेल जगत ठाकुर साहब द्वारा हिमाचल कबड्डी को दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए आभार व्यक्त करता है तथा इस संसार से अलविदा कहने पर उन्हें भावभीनी विदाई देता है। जब-जब राज्य में कबड्डी खेल पर बात होगी ठाकुर हीरा सिंह का नाम जल्द सामने आएगा। अलविदा पहाड़ी हरी टोपी वाले कबड्डी के उस्ताद। कबड्डी के मैदान में आपकी यादें बनी रहेंगी।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

 -संपादक


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