नए अवतार में राहुल गांधी

By: Mar 26th, 2018 12:08 am

कुलदीप नैयर

लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं

कांग्रेस का हाल में जो अधिवेशन हुआ, उसमें पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार अब केवल पूंजीपतियों की सरकार बनकर रह गई है। राहुल ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि वह केवल एक संगठन की आवाज बनकर रह गई है, जबकि कांग्रेस देश की आवाज है। इसके बावजूद उन्होंने स्वीकार किया कि मनमोहन सिंह सरकार अपनी सत्ता के अंतिम कुछ वर्षों में जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई। उन्होंने कहा कि हम मानव हैं और मानव गलती तो करता ही है…

राहुल गांधी कांग्रेस के नभमंडल में नए स्टार हैं। उनकी माता सोनिया गांधी ने गद्दी अब उन्हें सौंप दी है तथा अब वह पार्टी के अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी पंडित जवाहर लाल नेहरू के पड़दोहते हैं। इस तरह अगर कभी कांग्रेस सत्ता में आती है तो प्रधानमंत्री का पद गांधी खानदान के पास ही रहेगा। इससे प्राकृतिक रूप से एकता का भाव पैदा हुआ है। यह भाव विविधता व विभिन्न वर्गों वाले देश के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। राहुल अब उतने युवा नहीं हैं। वह 48 साल के हो चुके हैं, हालांकि वह अब तक के कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष हैं। इस समय देश जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, उनका समाधान उनके पास है अथवा नहीं, यह अभी देखा जाना है। लेकिन उन्हें काफी स्पष्टवादी माना जाता है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी व उसके अनुषंगी संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर यह हमला बोल कर सही काम किया है कि ये संगठन देश के लोगों को बांट रहे हैं। राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी बड़ा हमला किया है। उधर कई दलों ने इराक में वर्षों से लापता 39 भारतीयों की हत्या को लेकर भी सरकार पर हमला बोला है। इन लोगों का चार साल पहले अपहरण हो गया था। कुछ लोगों का यह मानना भी है कि इन लोगों की रिहाई के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पश्चिमी देशों का सहयोग लेना चाहिए था। लेकिन पश्चिम का इस मसले पर रुख स्पष्ट नहीं है। किसी भी पश्चिमी देश ने अब तक इस नरसंहार की न तो निंदा की है, न ही भारत से संवेदना जताई है। गोरे लोगों का तीसरे विश्व के काले व भूरे लोगों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया पहले से ही जगजाहिर है।

कांग्रेस ने इन हत्याओं के लिए एनडीए सरकार को जिम्मेवार बताया है। कांग्रेस नेताओं ने इन लोगों की हत्या की घोषणा देरी से करने के लिए भी सरकार को घेरा है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने यह कहते हुए सरकार की निंदा की है कि उसने बंधकों के परिजनों को झूठा दिलासा दिलाया। उन्होंने कहा कि यह सभी भारतीयों को हतप्रभ व व्यथित करने वाला है। जब ये लोग मारे गए थे, तभी सरकार को इस विषय में सूचना दे देनी चाहिए थी। सरकार को झूठी आस नहीं बंधानी चाहिए थी। इस विषय पर संसद का रुख भी अब तक नीरस करने वाला ही है। इस विषय पर जो चर्चा हुई, उसमें भी संसद कांग्रेस व भाजपा के खेमों में बंटी नजर आई। यह जाहिर है कि संसद का गठन राजनीतिक आधार पर होता है, इसके बावजूद हत्यारों पर कार्रवाई करने के लिए सभी दलों को एकजुट हो जाना चाहिए था। सुषमा स्वराज का यह स्पष्टीकरण कि सरकार मौतों को लेकर पहले आश्वस्त होना चाहती थी, भुक्तभोगियों के जख्मों पर मरहम नहीं लगाता है। अपने स्पष्टीकरण के साथ संवेदना जताते हुए उन्हें यह भी सदन को बताना चाहिए था कि सरकार इस संबंध में क्या कार्रवाई करने जा रही है। इस समय ऐसा लगता है कि इन हत्याओं को लेकर जो गुस्सा है, उसे दबा दिया गया है। हालांकि विदेश मंत्री इस मामले में सही हैं जब वह कहती हैं कि सरकार पर्याप्त सबूतों के बगैर बंदियों की हत्या की घोषणा नहीं कर सकती थी। उन्होंने सदन में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि एक जिम्मेवार प्राधिकारी का यह दायित्व बनता है कि जब तक उसके पास कोई सबूत न हो, वह तब तक किसी को मृत घोषित न करे।

सुषमा स्वराज ने कहा कि मैं पहले ही बता चुकी हूं कि जब तक सबूत नहीं होंगे, मैं किसी को मृत घोषित नहीं करूंगी और जब सबूत हाथ में आ जाएंगे तो घोषणा में एक दिन भी नहीं लगाऊंगी। सुषमा स्वराज ने कहा कि क्या हम शवों पर राजनीति करने जा रहे हैं। मैं कांग्रेस से पूछना चाहूंगी कि क्यों उसने आज सदन में खलल डाला। मैं आज लोकसभा में भारी मन से गई तथा वहां से बाहर भी मैं निराश होकर ही निकली। प्रेस कांफे्रंस में ये बातें बताते हुए उन्होंने कहा कि संसद में उन्हें बोलने नहीं दिया गया। मैं समझता हूं कि राहुल गांधी को नया अध्याय शुरू करना चाहिए। इन हत्याओं की घोषणा में देरी पर जो सरकार की आलोचना हुई है, उसमें सभी की एकता का आभास होना चाहिए था। इस संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इन हत्याओं पर मुस्लिम देशों की ओर से भी अब तक कोई निंदा नहीं आई है। हमें पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को इस मामले में अपने साथ जोड़ना चाहिए था। उधर सोनिया गांधी ने एक अच्छी पहल की है। उन्होंने वर्ष 2019 में केंद्र में सत्ता में भाजपा की वापसी रोकने के लिए गैर भाजपा दलों के साथ रात्रिभोज का आयोजन किया है। इसमें सभी गैर भाजपा दलों को एकजुट करने की कोशिश हुई। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने बताया कि इस रात्रिभोज का आयोजन किसी राजनीतिक लक्ष्य से नहीं किया गया, बल्कि इसका उद्देश्य विपक्ष में सद्भावना व मैत्री भाव पैदा करना था। रात्रिभोज के बाद सूरजेवाला ने कहा कि सोनिया गांधी का विचार है कि राष्ट्र के हित में यही सही होगा कि भाजपा दोबारा से सत्ता में न आए तथा इसके लिए सभी दलों को मतभेद भुलाकर एक हो जाना चाहिए। माकपा के नेता मोहम्मद सलीम ने यहां तक कहा कि इससे भी विस्तृत बैठकें अभी और होंगी। इस माह के अंत तक राकांपा नेता शरद पवार ने भी एक और बैठक बुलाई है। उधर सोनिया के रात्रिभोज के बाद भाजपा ने प्रतिक्रिया में कांग्रेस पर बड़ा हमला किया है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि लगता है कि सोनिया गांधी व राहुल गांधी लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते हैं। कांग्रेस का हाल में जो अधिवेशन हुआ, उसमें पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार अब केवल पूंजीपतियों की सरकार बनकर रह गई है। राहुल ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि वह केवल एक संगठन की आवाज बनकर रह गई है, जबकि कांग्रेस देश की आवाज है। इसके बावजूद उन्होंने स्वीकार किया कि मनमोहन सिंह सरकार अपनी सत्ता के अंतिम कुछ वर्षों में जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई। उन्होंने कहा कि हम मानव हैं और मानव गलती तो करता ही है।

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोचते हैं कि वह आदमी नहीं हैं, बल्कि भगवान के अवतार हैं। राहुल ने अपने समापन भाषण में कहा कि कांग्रेस देश को आगे ले जाएगी। भारत के सभी युवाओं के लिए हम उपकरण की तरह हैं। कांग्रेस पार्टी आपकी ही है। हम अपने दरवाजे आपके कौशल, आपके साहस व आपकी ऊर्जा के लिए खोलना चाहते हैं। यह देश संघर्ष कर रहा है और उसे युवाओं की जरूरत है। कांग्रेस के भीतर जो खामियां हैं, उन्हें राहुल कैसे दुरुस्त करेंगे, यह अभी देखना शेष है। उनकी कार्यशैली व क्रियाकलाप क्या होंगे, देश यह देखना चाहता है। सबसे जरूरी चीज रोजगार का प्रश्न है। क्या वह हर साल दो लाख रोजगार पैदा कर सकते हैं तथा साथ ही वह देश के आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद को 11 फीसदी तक ले जा सकते हैं?

ई-मेल : kuldipnayar09@gmail.com


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