फिजूलखर्ची पर सीएम के तंज पर विपक्ष का वाकआउट

By: Mar 17th, 2018 12:08 am

बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बोले; नजर का इलाज संभव है, नजरिए का नहीं

शिमला— मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को सदन में वित्त वर्ष 2018-19 की बजट चर्चा के दौरान विपक्ष को नई योजनाएं गिनाने के बाद फिजूलखर्ची को लेकर राहुल की मंडी रैली का हवाला दिया तो विपक्ष आगबबूला हो गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस रैली के लिए एचआरटीसी की बसें ली गई थीं, मगर इसके लिए 75 लाख रुपए की अदायगी सरकारी खजाने से की गई। इससे बड़ी फिजूलखर्ची की और क्या मिसाल होगी। मुख्यमंत्री के इस बयान से खफा होकर विपक्ष ने वाकआउट कर दिया। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि सत्तापक्ष की तरफ से जवाब घुमा-फिरा कर दिए जा रहे हैं।  मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 16 घंटे 49 मिनट तक चली उस बजट चर्चा का जवाब दे रहे थे, जिसमें सत्तापक्ष व विपक्ष के 47 सदस्यों द्वारा बजट को लेकर सराहना के साथ-साथ सवाल उठाए गए थे। मुख्यमंत्री ने विपक्षी रवैये को लेकर कहा कि नजर का इलाज संभव है, नजरिए का नहीं। उन्होंने कहा कि बजट में नई योजनाओं का नामकरण नहीं किया गया है, मगर इन 28 योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान है। यह बजट प्रदेश के गांवों पर आधारित है, जहां 90 फीसदी लोग रहते हैं। शहरी दिक्कतों पर भी संवेदनशीलता बताई गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल से वह सहमत हैं कि सरकारों को ऋण लेना पड़ता है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि पिछली सरकार ने 2013 से 2017 तक 18787 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण लिया, जिसके कारण 18 दिसंबर, 2017 को प्रदेश पर 46385 करोड़ रुपए का ऋण बोझ हो गया था। इतने बड़े ऋण के कारण केवल 2018-19 में प्रदेश सरकार को 4260 करोड़ रुपए ब्याज अदायगी तथा 3184 करोड़ रुपए ऋण अदायगी के रूप में ही चुकाने होंगे, इसलिए 7444 करोड़ रुपए का ऋण मौजूदा सरकार को पूर्व कांग्रेस सरकार की गलतियों के कारण ही लेना पड़ेगा। मुकेश अग्निहोत्री ने यह आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने 2200 करोड़ रुपए के ऋण लिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आरोप बेबुनियाद है। वर्तमान सरकार ने अभी तक के कार्यकाल में मात्र 1124 करोड़ रुपए के ही ऋण लिए, जबकि पिछली सरकारों के लिए गए 1038 करोड़ रुपए के ऋण इसी दौरान चुकता भी किए। यानी सरकार ने अब तक मात्र 86 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संसाधन जुटाने के लिए विपक्ष बड़ा हो-हल्ला कर रहा है, जबकि पूर्व सरकार के समय जिस कैबिनेट सब-कमेटी का गठन रिसोर्स मोबिलाइजेशन के लिए किया गया था, उसने पांच वर्षों में पांच बैठकें कीं, मगर रिपोर्ट कैबिनेट में पेश नहीं हो सकी।


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