बड़े अस्पताल आएं तो बेड साथ लाएं

By: Mar 23rd, 2018 12:05 am

शिमला – जब प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कालेज में ही स्वास्थ्य सुविधाएं वेंटिलेटर पर होगी, तो दूसरे अस्पतालों में क्या हालत होगी इसका तो अंदाजा ही लगाया जा सकता है। शिमला स्थित आईजीएमसी अस्पताल में अभी तक एक बेड पर दो-दो मरीजों को दाखिल किया जा रहा है। यहां तक तक की कई बार तो एक बेड पर तीन-तीन मरीज भी सोए होते है। अस्पताल के गायनी, ओर्थो, जनरल वार्ड में तो इतनी बुरी हालत है कि डाक्टर मरीजों को दाखिल तो कर देते है लेकिन वार्डों में बेड है भी या नहीं यह चैक नहीं किया जाता है। उधर अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल के कई बार वार्डों में स्थिति ऐसी भी पैदा हो जाती है कि एक बेड पर जहां पहले से ही महिला एडमिट होती है तो दूसरी ओर मेल पेसेंट को भी आपरेशन से पहले वहीं बेड दिया जाता है। मजबूरन किसी एक पेसेंट को या तो स्पेशल वार्ड बूक करवाना पड़ता है या फिर घर से अपडाउन करना पड़ता है। कुल मिलाकर अस्पतालों में कई सालों से मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है और सुविधाएं वहीं की वहीं है जो सालों से है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदेश में काबिज होने वाली हर सरकार दावा तो करती है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए कार्य किया जाएगा, लेकिन वो कार्य कब होगा और मरीजों के सामने आने वाली आने वाली समस्याएं कब दूर होगी।

अक्तूबर में नए भवन बनने के बाद उम्मीद

आईजीएमसी का नया भवन बनने के बाद सारी ओपीडी यहां शिफ्ट की जाएगी ऐसे में अस्पताल के पुराने भवन में केवल मरीजों को दाखिल ही किया जाएगा। बेड की संख्या को भी ज्यादा किया जाएगा। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अक्तुबर तक अस्पताल के कार्य को पूरा करने के निर्देश दिए गए है। प्रशासन का दावा है कि अक्तुबर के बाद मरीजों की सभी समस्याएं दूर हो जाएगी।

अस्पताल में महज 1007 बेड

जानकारी के अनुसार जब इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज बना था तो उस समय 350 बेड थे व अब 1007 बेड अस्पताल में है। ऐसे में मरीजों को दिक्कतें आना लाजमी है, क्योंकि रोजाना 1000 से ज्यादा मरीज तो पहुंचते ही है। वहीं दूसरी ओर पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते यहां पर सड़क दुर्घटना संबंधित केस भी रोजाना एक से दो आ ही जाते हैं। इससे अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि 1007 बेड से कैसे इतने बड़े अस्पताल में मरीजों का इलाज संभव है।

बीमारी फैलने का सता रहा डर

प्रदेश में गर्मियों का मौसम शुरू होने ही वाला है। गर्मियों के मौसम में एक दूसरे से वायरल फैलने का खतरा भी ज्यादा बड़ जाता है। उधर, अस्पताल में आने वाले मरीजों में अलग-अलग गंभीर बीमारियों के मरीज पहुंचते हैं, ऐसे में जाहिर सी बात है कि वायरल ओर बीमारियां फैलने का खतरा ज्यादा रहता है।


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