बड़े प्रोजेक्ट्स पर कम खर्च

By: Mar 21st, 2018 12:06 am

संसदीय समिति की रिपोर्ट में योजनाओं के कार्यान्वयन पर उठाए सवाल

नई दिल्ली— केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कई बड़ी योजनाएं चला रही है, लेकिन कई महत्त्वाकांक्षी योजनाओं के लिए आबंटित धन का बहुत कम हिस्सा खर्च हो रहा है। एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए इन योजनाओं के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन को लेकर सवाल उठाए गए हैं। हालांकि, सरकार आंकड़ों को गलत बता रही है, लेकिन शहरी विकास पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के छह बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर आबंटित धनराशि (5.6 अरब डालर) का महज 21 फीसदी (1.2 अरब डालर) ही खर्च किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट के हवाले से ब्लूमबर्ग की एक खबर में कहा गया है कि स्मार्ट सिटीज प्रोग्राम पर आबंटित फंड का महज 1.8 फीसदी ही खर्च हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वच्छ भारत पर भी उपलब्ध फंड का 30 फीसदी से कम इस्तेमाल किया गया है। केंद्र सरकार योजनाओं को लागू करने के लिए राज्यों को फंड जारी करती है। कमेटी ने कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने वास्तविक अनुमान नहीं लगाया या सही प्लानिंग नहीं की। कमेटी ने यह भी कहा कि सबको घर और खुले में शौच से देश को मुक्त करने के लिए पर्याप्त फंडिंग नहीं की गई है। स्टैंडिंग कमेटी के चैयरमैन और बीजू जनता दल के सांसद पिनाकी मिश्रा ने एक इंटरव्यू में कहा कि वे बड़ी योजनाएं लेकर आए हैं। बहुत अधिक वादे किए गए हैं, बहुत सारे प्रोजेक्ट्स के माध्यम से, लेकिन इनके बारे में पूरी तरह विचार नहीं किया गया। हालांकि सरकार इससे सहमत नहीं है। हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्ट्री के प्रवक्ता राजीव जैन ने कहा कि रिपोर्ट में खर्च के छोटे आंकड़े जारी निर्माण कार्यों को सही से नहीं दिखाते हैं। काम पूरा होने और प्रोजेक्ट्स मैनेजर्स के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भेजने के बाद ही आधिकारिक तौर पर माना जाता है कि फंड खर्च हो चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक 3.7 अरब डालर के प्रोजेक्ट्स या तो शुरू हो चुके हैं या पूरे हो गए हैं।


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