भुला नहीं पा रहा फाइनल वाला दिन
नई दिल्ली — सहानुभूति कभी-कभी आपका दुख बढ़ा भी सकती है और विजय शंकर अभी इसी दौर से गुजर रहे हैं। यह ऑलराउंडर बांग्लादेश के खिलाफ निदाहास ट्रॉफी फाइनल के निराशाजनक दिन से उबरने की कोशिश में लगा है, जब उनके प्रदर्शन के कारण भारत एक समय मैच गंवाने की स्थिति में पहुंच गया था। शंकर ने कहा कि मेरे माता-पिता और करीबी मित्रों ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि वे जानते हैं कि मैं किस स्थिति से गुजर रहा हूं, लेकिन जब मैं वास्तव में आगे बढ़ना चाहता हूं, तब मुझे इस तरह के संदेश मिले हैं कि सोशल मीडिया पर जो कुछ कहा जा रहा है, उससे चिंता नहीं करो। शायद उन्हें लगता है कि यह सहानुभूति जताने का तरीका है, लेकिन इससे काम नहीं चलने वाला। शंकर ने कहा कि वह मेरा दिन नहीं था, लेकिन मैं उसे नहीं भुला पा रहा हूं। मैं जानता हूं कि मुझे उसे भूलना चाहिए। उस अंतिम दिन को छोड़कर मेरे लिए टूर्नामेंट अच्छा रहा था।
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