भ्रष्टाचार का अड्डा बने बैंक
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में से आर्थिक भ्रष्टाचार की जानलेवा बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए नोटबंदी के टॉनिक का इंतजाम किया था और देश को बैंकों से जोड़ने का प्रयास किया था, ताकि कोई भी कालेधन को अपनी तिजोरी की शान बना के न रख पाए और हुआ यूं कि काला धन न तो लोगों की तिजोरियों में रहा, न बैंकों में, वह पहुंच गया विदेशों में। आज जिस तरह बैंकों में गड़बड़ घोटालों की खबरें सुर्खियां बन रही हैं, इन्होंने तो मोदी के आर्थिक भ्रष्टाचार रूपी जानलेवा बीमारी में नोटबंदी जैसी कड़वी दवा को भी बेअसर कर दिया है। बैंकों में भ्रष्टाचार के दिन-प्रतिदिन खुलासों को देख-पढ़ और सुनकर तो यही लगता है कि देश में अब तो आर्थिक भ्रष्टाचार की बीमारी लाइलाज बन चुकी है, जिसका अंत कोई चमत्कार ही कर सकता है। नोटबंदी से जनता को यह लगा कि काला धन बैंकों में वापस आ गया, परंतु जितनी तेजी से यह धन बैंक में पहुंचा, उतनी ही रफ्तार से यह विदेशों में भी पहुंच गया।
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