मन उड़ता परिंदा

By: Mar 18th, 2018 12:05 am

हौसला बुलंद और मन उड़ता परिंदा।

पथ नेकी का रखे हमें चिरकाल तक जिंदा।।

कर्म कर पुनीत और पथ से कभी विचलित न हो।

प्रेम, दया रख आपस में, एक-दूसरे से कभी खंडित न हो।।

ख्वाबों की एक दुनिया बुन, दिल में उत्पन्न कर जुनून।

मंजिल खुद तेरे आंगन आएगी और मिलेगा मन को सुकून।।

डिगें न कभी कदम चले निरंतर, ढल जाए बेशक उम्र।

श्रम का फल मीठा ही मिलेगा, बंदे थोड़ा सब्र कर।।

साहिल पर नजर टिका, निश्चय ही आएगी वो लहर।

आशा का दामन न छोड़, द्वार तेरे एक रोज आएगा बुलंदी का वो पहर।।

-अजय भंडारी, चंबीधार, राजगढ़


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