मरीज के जख्मों पर फोर्टिस  ने लगाया मरहम

By: Mar 21st, 2018 12:05 am

 कांगड़ा —मंदिर में ज्योति की लौ से लोगों की जिंदगी में उजियारे की कामना करने वाले पुजारी को उस दिन भाग्य दगा दे गया। मंदिर में पूजा के दौरान लगी आग से मंदिर के पुजारी को बुरी तरह झुलसा दिया। इस आग ने पुजारी के शरीर को ऐसे घाव दे दिए, जो महीनों तक इलाज के बावजूद ठीक नहीं हो रहे थे।  अपने सामर्थ्य के अनुसार उसने अपना उपचार भी करवाया, लेकिन घाव कम होने के बजाय ज्यादा बढ़ते गए। करीब एक साल तक वह घावों में पस, बदबू एवं पीड़ा से कराहता रहा। उसके यह घाव नासूर बन चुके थे। उसके लिए यह जीवन एक अभिशाप बनकर रह गया था। जिंदगी लाचारी की तरफ  बढ़ रही थी। वह चलने-फिरने तथा दैनिक कार्य करने में भी असमर्थ हो चुका था। ऐसे में गांववासी इनसानियत का परिचय देते मरीज को फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा  में लेकर आए। उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने भी सहयोग प्रदान किया और उसे अस्पताल के प्लास्टिक एवं कॉस्मेटिक सर्जरी विभाग के स्पेशलिस्ट डा. ठाकुर थुस्सू की निगरानी में दाखिल करवा दिया। डा. थुस्सू ने मरीज की विस्तृत जांच की और पाया उनके ये घाव नासूर बन चुके हैं और इनका उपचार केवल मात्र सर्जरी के जरिए ही संभव था।  डा. थुस्सू ने सधी हुई तकनीक से खराब हो चुकी शरीर की चमड़ी को निकाला। इसके बाद स्किन ग्राफ्टिंग तकनीक से मरीज की जांघों का मांस निकाला गया। उन्होंने फिर इस मांस से नासूर बन चुके घावों में स्किन ग्राफ्टिंग की। यह प्रक्रिया एक ही आपरेशन के जरिए संपूर्ण की गई।  अस्पताल में तीन दिन की देखरेख के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। उपचार के उपरांत मरीज स्वस्थ महसूस कर रहा है और सामान्य जीवन जी रहा है।

प्लास्टिक सर्जरी से हर घाव का उपचार

डा. थुस्सू ने बताया कि जल जाने के बाद जुड़े हुए अंगों के इलाज में बहुत प्रगति हो चुकी है। आज के दौर में इस तरह के मरीजों का बिलकुल सफल उपचार संभव है। प्लास्टिक सर्जरी की विशेषज्ञ तकनीक के माध्यम से अब मरीज जल्द से जल्द ठीक होकर पहले जैसी स्थिति में आ जाता है।


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