मौत के बाद मिली बेटे की डिग्री, रो पड़े पिता
उत्तर प्रदेश के देवरिया में रहने वाले आमिर गरीबी से लड़कर जिंदगी में कुछ करना चाहते थे। वह चाहते थे कि पढ़-लिखकर परिवार का सहारा बनें। उनका दाखिला जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के एमफिल-पीएचडी इंटीग्रेटेड कोर्स में हुआ। आमिर ने पूरी शिद्दत के साथ पढ़ाई की, एमफिल पूरा किया और फिर पीएचडी के रिसर्च वर्क में जुट गए। पूरी मेहनत से सपनों के रास्ते पर बढ़ते आमिर ने अपने पीएचडी कोर्स की पढ़ाई शुरू की, लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। 2017 में जम्मू स्टेशन से लौटते वक्त वह एक दर्दनाक सड़क हादसे का शिकार हो गए। सिर पर लगी चोट से ब्रेन हेमरेज हुआ और वह कोमा में चले गए। इस घटना के करीब दस महीने बाद आमिर के पिता अब्दुल को जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय की एक चिठ्ठी मिली। चिट्ठी में आमिर की डिग्री का जिक्र करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से अब्दुल को दीक्षांत समारोह में बेटे की डिग्री लेने आने का आमंत्रण भेजा गया था। 18 मार्च को होने वाले इस दीक्षांत समारोह में तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और कुलपति अशोक आइमा की ओर से आमिर को एमफिल की उपाधि दी जानी थी, इसलिए अब्दुल बेटे की आखिरी निशानी सी डिग्री को लेने देवरिया से जम्मू रवाना हुए। दीक्षांत की तय तिथि पर जम्मू के जोरावर सिंह सभागार में पहुंचे। मोहम्मद अब्दुल के लिए यह बेहद भावुक क्षण थे। मंच से जैसे ही एमफिल उपाधि के लिए आमिर के नाम के साथ पिता का नाम पुकारा गया, बेटे की याद में अब्दुल फफक पड़े। दिवंगत बेटे को विश्वविद्यालय के इस अनोखे सम्मान के लिए उन्होंने कुलपति प्रो. अशोक आइमा को विशेष धन्यवाद देते हुए अपनी कृतज्ञता जाहिर की। इसके बाद प्रोफेसर आइमा ने कहा कि आमिर के देहांत के बाद जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर में हमनें नारायणा अस्पताल से चिकित्सकीय सहायता लेने का भी अनुबंध किया है, जिससे आपात स्थितियों में बच्चों को बेहतर से बेहतर इलाज की सुविधा दिलाई जा सके।
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