रस्सी पर तेल…और नीलगाय फेल

By: Mar 24th, 2018 12:05 am

ऊना – ऊना जिला के अंतर्गत बसोली में नीलगाय से किसानों की फसलों को बचाने को लेकर नई तकनीक के ट्रायल को सफलता मिलने के बाद अब वन विभाग दस क्षेत्रों में ट्रायल करेगा। इस तकनीक से किसानों को अवगत करवाने के साथ ही इसे अपनाने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जाएगा, ताकि नीलगायोें से किसानों की फसलों को आसानी से बचाया जा सके। जिला के तहत किसानों की फसलों को ऊना और अंब क्षेत्र में ज्यादात्तर नुकसान नीलगाय ही पहुंचाती हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। कई बार तो किसानों को मजबूरी में रात के अंधेरे में फसलों को बचाने के लिए पहरा भी देना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए वन विभाग ऊना ने डीएफओ यशुदीप सिंह की अगवाई में केरल राज्य की तर्ज पर जिला के तहत एक ट्रायल किया था, जिसे सफलता मिली थी। वन विभाग की मानें तो ट्रायल की इस सफलता के बाद बसोली गांव के कई किसानों ने इस तकनीक को अपनाया और वहां पर नीलगाय का कहर काफी हद तक कम हो गया, जिसके चलते अब वन विभाग ऊना और क्षेत्र के दस ऐसे क्षेत्रों में इस तकनीक का ट्रायल करेगा, जहां पर ज्यादात्तर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचाती है। वन मंडल अधिकारी यशुदीप सिंह ने इस तकनीक को यहां पर अपनाने की पहल शुरू की है, इसे सफलता भी मिल रही है।  इस तकनीक को अपनाने के लिए होने वाला खर्चा साधारण किसान भी उठा सकता है। नई तकनीक बिलकुल सस्ती और आसान है। इसके लिए सिर्फ एक जूट से बनी रस्सी और पुराना ऑयल, मिर्ची पाउडर की जरूरत है। किसान इस तकनीक को अपनाकर अपनी फसलें नीलगाय से आसानी से बचा सकता है। इस रस्सी को ऑयल और मिर्ची पाउडर में भिगोकर इसे खेत के चारों ओर बांधना है। इस रस्सी को लगाने के बाद खेतों में नीलगाय नहीं आएगी। इस रस्सी को एक कनाल में लगाने पर करीब आठ सौ रुपए तक का खर्चा आता है, जिसे कोई भी किसान आसानी से वहन कर सकता है।


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