शिवभूमि भी कहा जाता है जिला चंबा को

By: Mar 7th, 2018 12:05 am

हिमाचल प्रदेश का जिला चंबा शिवभूमि भी कहलाता है। इस क्षेत्र के देवी-देवताओं को वर्गों में बांट सकते हैं। पहले वर्ग में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश और वीर हैं, जबकि स्त्री में काली, सती और ब्रह्माणी हैं…

पीपल जातर मेला: कुल्लू के राजा को अपनी जनता के प्रति प्रशासन देने में भी कठिनाइयां आती थीं। इसके अलावा सर्दियों में लोगों का हस्तशिल्प एवं हथकरघा का व्यवसाय भी ठप पड़ जाता था। प्रशासनिक व्यवस्था देने तथा घरेलू उत्पादों के दोहन के दृष्टिगत तत्कालीन राजा ने ‘राय री जाच’ का आयोजन किया। तत्काल कुल्लू रियासत के राजा ढालपुर के मैदान में पीपल के पेड़ के नीचे खुला दरबार का आयोजन करते थे तथा जनता की समस्याओं को सुनते थे। जनता राजा के सम्मुख नृत्य के माध्यम से अपनी खुशियों को प्रदर्शित करती थी। यही नहीं, जनश्रुति के अनुसार इस मेले में देवता बिजली महादेव प्रमुख देवता तथा अन्य 18 देवता भी मेले में भाग लेते थे। इस मेले में स्थानीय जनता हस्तशिल्प व हथकरघा के उत्पादों का क्रय-विक्रय करती थी। इस मेले में राजा के दर्शन, घरेलू उत्पादों के व्यापारिक दोहन के अलावा लोक संस्कृति की झलक एवं मनुष्य के अलावा देवी-देवताओं का भी मेल-मिलाप होता था तथा यहां की जनता देवता के दर्शन कर अपने आप को धन्य मानती थी, लेकिन समय के अंतराल के साथ-साथ यह मेला अपना असली स्वरूप बदलता गया तथा इस मेले का नाम कभी पशु मेला, तो कभी पीपल जातर मेला पड़ा, परंतु वर्तमान में यह पीपल जातर एवं वसंतोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है। पहले यह मेला 16 वैसाख को मनाया था, परंतु वर्तमान में 28 अपै्रल को ही मनाया जाने लगा है। नगर परिषद की ओर से यह मेला धूमधाम से मनाया जाता है। पता चला है कि इस मेले में अब किसी भी देवता को आमंत्रित नहीं किया जाता है, जो देवभूमि कुल्लू की देव संस्कृति का अपमान ही नहीं, बल्कि देव संस्कृति को समाप्त करने का द्योतक भी है। तत्कालीन ‘राय री जाच’ से शुरू हुआ आज वसंतोत्सव को अनेकों उतार-चढ़ाव तथा विभिन्न नामकरणों के होने का सामना करना पड़ा है, जिससे कि इसके वास्तविक मूल रूप को ठेस पहुंची है।

मणिमहेश यात्रा

जिला चंबा शिवभूमि भी कहलाता है। इस क्षेत्र के देवी-देवताओं को वर्गों में बांट सकते हैं। पहले वर्ग में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश और वीर हैं, जबकि स्त्री में काली, सती और ब्रह्माणी हैं। विष्णु को ठाकुर या लक्ष्मी नारायण जबकि शिव को महादेव, कैलाशवासी, त्रिलोचन महादेव, चंद्रशेखर तथा मणिमहेश के नाम से भी जाना जाता है। नाग जाति में केलंग, वासुकी, पढ़ौल, मंदौर, डलनाग व इंदू्र इत्यादि देवता हैं, तो वीर जाति में गुग्गा, पंडलोक, अजियापाल, लखदाता, कैलू व नरसिंह हैं।


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