संस्कृत को मिले दूसरी भाषा का दर्जा

By: Mar 19th, 2018 12:20 am

भारतीय नववर्ष परंपरा समारोह में राज्यपाल का मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री से आग्रह

शिमला – प्रदेश में संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने की पहल होनी चाहिए, क्योंकि संस्कृति ही देव भाषा रही है और हमारे ग्रंथ संस्कृत में ही लिखे गए हैं।  यह आग्रह राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री ने किया। वह रविवार को गेयटी थियेटर में आयोजित भारतीय नववर्ष समारोह में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित रहे। समारोह का आयोजन हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी और ठाकुर जगदेव चंद शोध संस्थान नेरी, हमीरपुर तथा संस्कार भारती हिमाचल प्रदेश द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। राज्यपाल ने कहा कि हम विचारों से उन्नत थे, शिक्षा में अग्रणी थे और यहां के लोगों को संस्कृति पर गर्व था, लेकिन संस्कृति पर सबसे अधिक चोट अंग्रेजों के द्वारा पहंचाई गई। एक सोची समझी साजिश के तहत शिक्षा नीति को खंडित किया गया और अपनी शिक्षा पद्धति हम पर लाद दी, जिसे आज भी हम पढ़ रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि नववर्ष प्रदेशवासियों के जीवन में नवीनता लाए और राष्ट्र के प्रति हमारे में और श्रद्धा पैदा करे। उन्होंने कहा कि नववर्ष लोगों के जीवन में खुशियां लेकर आए और वे स्वस्थ रहें।  इससे पूर्व, सचिव भाषा कला एवं संस्कृति डा. पूर्णिमा चैहान ने राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री का स्वागत किया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हिमाचल प्रदेश के प्रांत प्रचारक संजीवन कुमार, निदेशक चेत राम गर्ग, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इसके पश्चात, राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री ने शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर भारतीय नववर्ष के मौके पर आयोजित दीप प्रज्वलन कार्यक्रम में भाग लिया और दीप जलाकर प्रदेशवासियों को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।

सीएम बोले, सांस्कृतिक मूल्य संजो कर रखे प्रदेश की जनता

शिमला  – मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों को सुरक्षित तथा संजोए रखना महत्त्वपूर्ण है। मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति बहुत समृद्ध और विविध है, जो हमेशा मिलजुल कर रहने का संदेश देती है। हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों पर गर्व होना चाहिए और सभी को इसके प्रोत्साहन के लिए कार्य करना चाहिए। केवल वही सभ्यताएं उन्नति करती हैं, जिनमें अपनी संस्कृति व परंपराओं के लिए आदर एवं स्नेह होता है। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां के लोग शांतिप्रिय हैं और अपनी परंपराओं का बहुत सम्मान करते हैं। जयराम ठाकुर ने भारतीय नववर्ष के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए उनकी खुशहाल जीवन की कामना की। उन्होंने रिज पर सजाई गई रंगोली पर दीप प्रज्ज्वलित भी किया।

त्रैमासिक पत्रिका का विमोचन

समारोह में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान की त्रैमासिक अनुसंधान पत्रिका इतिहास दिवाकर का भी विमोचन किया। पत्रिका का यह अंक इतिहास एवं संस्कृति के पुरोधा डां. विद्याचंद ठाकुर को समर्पित किया गया है। उन्होंने एक विडियो सीडी का भी विमोचन किया।


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