सकारात्मकता से शुरू होता है सफलता का सफर

By: Mar 28th, 2018 12:05 am

कोई आपको लाख सलाह दे, पर जब तक आप स्वयं अपने मन को नकारात्मक सोचने से मना नहीं करेंगे, तब तक कुछ नहीं होगा।  सफलता का सफर सकारात्मकता से शुरू हो कर उपलब्धियों पर आकर खत्म होता है और असफलता का तो कोई सफर ही नहीं होता…

सफलता मिलने की आशा नहीं है, तो इस का मतलब यह नहीं कि कोशिश ही न करें। असफलता मिलने की उम्मीद के कारण कोई कार्य ही न करें। कार्य करें और अपनी ओर से पूर्ण मेहनत के साथ कार्य करें। पर अगर मन में  जरा सी भी शंका हो, तब उस शंका का निवारण जरूरी है।  क्योंकि यह मन ही है जो आपको सच से साक्षात्कार करवाता है और सत्य बात आपके सामने बिना लाग लपेट के रखता है। दरअसल प्रयत्न और भीतर की आवाज सुनने में एक तरह से संतुलन बैठाना होता है और जिसने सही तरीके से संतुलन बिठा लिया, उसकी सफलता की दर बढ़ने  की संभावना रहती है, क्योंकि वह अपनी गलतियों को स्वयं के सामने रखने का माद्दा रखता है। कई बार ऐसा होता है कि स्टूडेंट्स  दूसरों के ओपिनियन के आधार पर अपने बारे में गलत राय बना लेते हैं। इसी कारण वे न तो स्टडी पर कसंट्रेट कर पाते हैं और न  ही गोल अचीव कर  पाते हैं। उन्हें लगता है  कि उनमें कुछ भी अच्छा नहीं है और इंफिरियोेरिटी  कांप्लेक्स से ग्रस्त हो जाते हैं। याद  रखिए  जो कामयाब हैं वे इसलिए  कि वे अपने को किसी से कम नहीं आंकते। वे हमेशा अपनी बेहतर  चीजों पर फोकस करते हुए अपना सेल्फ  कान्फिडेंस बढ़ाते रहते हैं और अपनी  पर्सनेलिटी को चमकाते रहते हैं। इसलिए अपने  भीतर झांकिए और दूसरों से अपने को बिलकुल कम मत आंकिए। कई स्टूडेंट्स इस प्रॉब्लम से जूझते दिखाई देते हैं। न तो उनका फिजिकल अपीरियंस अच्छा है न उनकी चाल न उनकी आवाज अच्छी है और न एटीच्यूड। वे दूसरों की धारणा पर अपने बारे में राय बना लेते हैं और परेशान रहते हैं। वे अपनी स्टडी, करियर और लाइफ से नाखुश रहते हैं। इस लिए  वे कोशिश करते  हैं कि वे कुछ और हो  जाएं। कामयाब होने की पहली सीढ़ी है अपने को स्वीकार करना, अपने को  प्यार  करना और अपनी गलतियों को भुला देना। इसी  से आप अपनी पर्सनेलिटी को  डिवेलप कर सकते हैं। इसकी आज से ही शुरुआत कर दीजिए। यहां दी जा रही कुछ  टिप्स को अपनाएं और आग बढ़ जाएं। गौरतलब है कि सबसे पहली बात  तो यह है कि अपने बारे में तमाम नापसंद बातों को भूल जाएं। आपको लगता है कि न तो आप स्मार्ट  हैं   और न ही हंबल, यह सब नेगेटिव थिंकिंग का रिजल्ट है। इसलिए अपने बारे में अच्छी बातें सोचिए। अपने बारे में दूसरों की राय को ज्यादा महत्त्व मत दीजिए और अपने को सफल होते देखने की आदत डालिए। आत्मविश्वास बढ़ाने का एक आसान और सहज तरीका है अपने को आईने में देखना। आईने के समाने खड़े होकर अपने से लगातार कहते रहिए कि आप यूनिक हैं, हैंडसम हैं या ब्यूटीफुल हैं। सेल्फ कान्फिडेंस हासिल करने के बाद उस  तरफ  बढ़ने की कोशिश करिए,जो आप हासिल करना चाहते हैं। अपने  बारे में तमाम अच्छी बातें या अपनी क्वालिटीज को लिख लें और कमजोरियों को भी लिख लें । यदि आपको लगता है कि आप जल्द ही   इमोशनल हो जाते हैं या हर्ट हो जाते हैं, तो उसकी जड़ों को समझने की कोशिश करिए। इससे आप अपने  ही बारे में बेहतर अंडरस्टैंडिंग बना पाएंगे। दुनिया में तमाम ऐेसे उदाहरण हैं कि जिनके पास खूब पैसा और शोहरत थी, लेकिन वे कभी अपनी जिंदगी में खुश नहीं रह पाए। जाहिर है खुशी बाहर नही, भौतिक सुख-सुविधाओं में नहीं। यह पूरी तरह आप पर निर्भर है कि आप खुश रहना चाहते हैं कि दुखी। इसलिए अपने भीतर सदा ग्रीनर साइड ही देखें। अपने बारे में हमेशा सकारात्मक सोचें। क्योंकि आपकी सोच ही आपकी जिंदगी का आईना होती है। मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है। तो क्यों न ऐसा सोचा जाए कि आप अच्छे बन जाएं। नकारात्मक सोच आपको असफलता के धुंधलके में ले जाती है। कोई आपको लाख सलाह दे, पर जब तक आप स्वयं अपने मन को नकारात्मक सोचने से मना नहीं करेंगे, तब तक कुछ नहीं होगा।  सफलता का सफर सकारात्मकता से शुरू हो कर उपलब्धियों पर आकर खत्म होता है और असफलता का तो कोई सफर ही नहीं होता।

 -एके मिश्रा, निदेशक चाणक्य अकादमी, नई दिल्ली

 


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