समाज में फैलता नशे का मकड़जाल

By: Mar 24th, 2018 12:05 am

गुरुदत्त शर्मा

लेखक, शिमला से हैं

सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि मादक वस्तुओं का सेवन अब स्कूलों के विद्यार्थियों को अपनी चपेट में ले रहा है। आज बहुत से नशीले पदार्थ बाजार में आसानी से कम कीमत पर उपलब्ध हो रहे हैं। नतीजतन नशा करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है। नशीले पदार्थों की मांग अधिक होने के कारण उनका उत्पादन व पूर्ति भी तेजी से होती जा रही है…

नशाखोरी इस सदी की सबसे बड़ी समस्या है। देश में प्रतिदिन नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है और पिछले कुछ वर्षों से हमारे युवाओं में नशे की लत आज समाज और सरकार के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। युवा हमारी सबसे बड़ी शक्ति है और इसी आधार पर आज हम विश्व में एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं, लेकिन हमारे युवाओं के विरुद्ध हमारे पड़ोसी देश षड्यंत्र रच रहे हैं और हमारे युवाओं  को नशे की लत लगाकर उन्हें बेकार बनाया जा रहा है। सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि यह नशा हमारे पड़ोसी देशों द्वारा हमारे देश में भेजा जा रहा है और हमारी सरकार तथा प्रशासन इसमें पूरी तरह अंकुश लगाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। पंजाब जिसका जीता जागता उदाहरण है। वैसे भी नशा मनुष्य को अंदर से खोखला बना देता है। आज हमारे प्रदेश में नशीले पदार्थ की तस्करी व सेवन एक बड़ी समस्या बन गई है और इससे निपटने के लिए जांच एजेंसियों व अभियोजन पक्ष में बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि मादक वस्तुओं का सेवन अब स्कूलों के विद्यार्थियों को अपनी चपेट में ले रहा है। आज बहुत से नशीले पदार्थ बाजार में आसानी से कम कीमत पर उपलब्ध हो रहे हैं। नतीजतन नशा करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है। नशीले पदार्थों की मांग अधिक होने के कारण उनका उत्पादन व पूर्ति भी तेजी से होती जा रही है। तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, गुटका, खैनी, नशीली दवाइयां व शराब बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं।

शुरू में तो युवा शौक के तौर पर इन मादक वस्तुओं का सेवन करता है और बाद में नशे की मांग पूरी करने के लिए तस्करी और गैर सामाजिक कार्य के कारोबार में फंस जाता है। नशे की वजह से हमारी युवा पीढ़ी अपनी सोच समझ खो रही है और समाज व प्रशासन की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। पुलिस द्वारा मादक पदार्थ की सप्लाई करने के आरोप में पकड़े गए आरोपियों में ज्यादातर युवा शामिल हैं, जिनके बयानों से साबित होता है कि शुरू में उन्होंने मादक पदार्थ का सेवन शौक के लिए किया था और आदी होने पर वे इस गोरखधंधे में फंसते चले गए।

मादक पदार्थ से लेकर नशीली दवाएं बाजार में चोरी छिपे बिक रही हैं। कभी कभार पुलिस प्रशासन सक्रियता दिखाता है, पर बाद में सब कुछ पूर्ववत चलता ही नहीं रहता, बल्कि तेजी से फैलता है। आज शराब के अलावा भांग, गांजा, कोकीन, हेरोइन, हशीश आदि ऐसे कितने ही नशीले पदार्थ हैं, जिनकी गिरफ्त में हमारी युवा पीढ़ी आ रही है। स्कूल, कालेजों में अध्ययनरत छात्रों को नशा उपलब्ध करवाने वाले कौन हैं? इन लोगों की पहचान करने और उन्हें पकड़ कर सख्त सजा देना समय की मांग है। आज व्याप्त नशाखोरी की समस्या से ही अनुशासनहीनता, बलात कानून-व्यवस्था भंग करने व विकास तथा खुशहाली में बाधक साबित हो रही है। नशेड़ी युवा नशा प्राप्त करने के लिए चोरी-डैकेती, यहां तक कि हत्या करने से भी नहीं हिचकता है। एक नशेड़ी व्यक्ति पूरे परिवार व समाज के लिए घातक ही नहीं यह तन, मन, धन, घर-परिवार, समाज व देश को भी नेस्तनाबूद कर देता है। नशे का सबसे बड़ा कारण कुसंगति व इसकी आसानी से उपलब्धता है। नशीले पदार्थ मनुष्य  की उत्प्रेरक शक्ति को नष्ट कर देते हैं। नशे का घातक प्रभाव यह होता है कि  जब उपरोक्त नशा या सिथेंटिक दवाइयां न मिलें तो व्यक्ति एकदम बुझा-बुझा सा लगता है तथा मानसिक व शारीरिक दृष्टि से नाकारा हो जाता है। कुसंगति के कारण सीधे-सादे बच्चे भी बुरी संगत में पड़कर नशे के दलदल में फंसते जा रहे हैं। आज के व्यस्त व भागदौड़ भरे जीवन में कभी-कभार माता-पिता बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते और जब हालत बदतर हो जाती है, तब जाकर अभिभावकों को वस्तुस्थिति का पता चलता है। नशे पर अंकुश लगाने के लिए माता-पिता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अपना कुछ समय निकाल कर अभिभावक अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दें तो बच्चों को इस कुसंगति से बचाया जा सकता है। उसके अलावा हमारे युवाओं में फैलती नशे की प्रवृत्ति पर जनसहयोग द्वारा काफी अंकुश लगाया जा सकता है। माता-पिता व अभिभावक का कर्त्तव्य बन जाता है कि उनके बच्चों को जीवन में क्या मुश्किलें आ रही हैं, उनको सुनिए व उनका समाधान कीजिए। बच्चों के साथ सख्त व्यवहार और बात-बात पर रोकटोक करने जैसे नकारात्मक पालन-पोषण से बच्चों में गैर सामाजिक व्यवहार जन्म ले सकता है। बच्चों की परवरिश में लापरवाही भी उनके बुरे व्यवहार का कारण बन सकती है। लापरवाह परवरिश व बुरी संगत में सिर्फ बच्चों का व्यवहार ही खराब नहीं हो सकता, बल्कि वह गलत आदत में भी पड़ सकता है, जिससे एक देश का युवा जो देश की सामाजिक व आर्थिकी में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता था, का देश और समाज के लिए नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।

वैसे तो मादक पदार्थ की तस्करी व प्रयोग रोकने के लिए अनेक कानून बने हैं, लेकिन जब तक आम युवाओं को उनके सेवन के दुष्प्रणाम के बारे में अवगत नहीं किया जाएगा, तब तक इन बुराइयों से निजात नहीं मिल पाएगी, ऐसा लगता नहीं है। हमारी प्रदेश सरकार द्वारा शराब के ठेके अब छोटे-छोटे उपनगरों व गांव में भी खोले जा रहे हैं, ताकि सरकार का राजस्व बढ़ सके। इससे प्रदेश की जनता विशेषकर युवा वर्ग में अब शराब पीने की आदत बढ़ती जा रही है, जो कि एक चिंता का विषय है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App