हिमाचली पुरुषार्थ : युवाओं को सेना-पुलिस में भेज रहे सुशील

By: Mar 14th, 2018 12:07 am

सेवानिवृत्त कै. सुशील जरियाल ने बताया कि राज्य एवं केंद्र सरकार से शौर्य चक्र विजेता के रूप में उन्हें जो वार्षिक 86,000 रुपए का मानदेय मिलता है, उसे वह निशुल्क भर्ती कैंप के लिए खर्च करते है। उनकी कड़ी मेहनत से अब तक लगभग 242 युवा आर्मी अथवा पुलिस में भर्ती हो चुके हैं…

क्षेत्र के नंगल जरियालां के रहने वाले शौर्य चक्र विजेता सेवानिवृत्त कै. सुशील जरियाल की वीरगाथा एवं समाज सेवा का जज्बा क्षेत्र में हर किसी की जुबान पर है। 30 वर्ष तक सेना में नौकरी करने के बाद सेवानिवृत्ति पर उन्होंने गांव में सेवा का मन बनाया। जनवरी 2016 में लगातार दूसरी बार गांव के उपप्रधान बने। सुशील जरियाल अपना अधिकतर समय इलाके के जरूरतमंद लोगों की सेवा में व्यतीत करते हैं। वर्ष 2009 से लेकर अब तक हर वर्ष तीन महीने तक गोंदपुर बनेहड़ा के स्कूल ग्राउंड में स्थानीय युवाओं को सेना, पुलिस इत्यादि में भर्ती होने के लिए निशुल्क प्रशिक्षण शिविर लगाते हैं, जिनमें युवाओं को हर रोज तीन घंटे तक शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से भर्ती के लिए ट्रेनिंग देते हैं और यहीं वजह है कि उनकी कड़ी मेहनत से अब तक लगभग 242 युवा आर्मी अथवा पुलिस में भर्ती हो चुके हैं। जिस वजह से हर भर्ती हुए युवा की जुबान पर उनके लिए आभार और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना के शब्द हैं। सेवानिवृत्त कै. सुशील जरियाल ने बताया कि राज्य एवं केंद्र सरकार से शौर्य चक्र विजेता के रूप में उन्हें जो वार्षिक 86,000 रुपए का मानदेय मिलता है, उसे वह निशुल्क भर्ती कैंप के लिए खर्च करते हैं। गौर रहे कि कारगिल युद्ध के समाप्त होने पर जे एंड के की पीर पंजाल पहाडि़यों के मलनार क्षेत्र में चार आंतकवादी छिपे होने की सूचना 14 ग्रे्रनेडियर सेना के जवानों को मिली और उस वक्त अपनी 22 साल के सेना में तुजुर्वे और 39 साल की उम्र में हवलदार के पद पर तैनात सुशील जरियाल सहित छः जवानों ने इन आंकवादियो को पकड़ने के लिए घेरा, परंतु दोनों तरफ से भीषण गोलाबारी हुई। पेट के नीचले हिस्से में गोली लगने पर घायल होने के बाबजूद सुशील जरियाल ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए चारों उग्रवादियों को मार गिराया। उनकी बहादुरी के लिए भारत सरकार ने उन्हें 28 अप्रैल, 2000 को शौर्य चक्र देने की घोषणा की और 26 जनवरी, 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उन्हें शौर्य चक्र प्रदान किया। तत्पश्चात फिर 8 वर्ष सेना में सेवा की और बतौर कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए। सुशील जरियाल ने बताया कि आंतकवादियों से लड़ते हुए जिंदगी और मौत को बड़ी नजदीकी से देखा था, परंतु भारत माता की रक्षा करने के जज्बे की वजह से उन्हें शक्ति मिली और वह आंतकवादियों को मार गिराने में सफल हुए। शौर्य चक्र मिलने पर राज्य सरकार प्रति वर्ष उन्हें 50,000 रु और केंद्र सरकार 36,000 रुपए का मानदेय देती है। इसके अतिरिक्त उन्हें पूरे भारत वर्ष में बस एवं ट्रेन की सुविधा निशुल्क है। जबकि मात्र 25 प्रतिशत किराया देकर हवाई जहाज से आवागमन की सुविधा प्राप्त है।

-एके कालिया, दौलतपुर चौक

जब रू-ब-रू हुए…

हिमाचली युवाओं में असाधारण क्षमता …

आपके लिए देश के लिए जीने -मरने का संकल्प किस तरह पूरा होता है?

जब मैं यह न सोचूं कि मेरे लिए देश ने क्या किया और जब मैं यह सोचूं कि मैंने देश के लिए क्या किया। देश होगा तो हम होंगे और यही बात देश के लिए जीने-मरने को प्रेरित करती है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सेना को लेकर सियासी बहस को आप कैसे देखते हैं?

सेना पर किसी तरह की बहस  नहीं होनी चाहिए। सेना हमेशा देश की  शांति के लिए  काम करती है। सेना का सियासत से कोई लेना-देना नहीं है। सेना का लक्ष्य कुछ और होता है और सियासत का मकसद कुछ और। सेना को सियासत की छाया से दूर ही रखना चाहिए।

सरहद पर सैनिक वर्दी के पीछे सोच और समाज के भीतर क्यों भारतीयता के मायने बदल रहे हैं?

सरहदों की रक्षा करना , ऐसी सोच के पीछे शरारती तत्त्वों  और देश के दुश्मनों का हाथ होता है, जो सेना की कार्रवाई के बारे में सेना से सवाल करते हैं। सेना का मकसद बस सरहदों को दुश्मन से महफूज रखना है।

क्या नेताओं पर गुस्सा आता है या देश के इतिहास व यहां के नायकों की अनदेखी पर राष्ट्रीय नीतियों के प्रति असंतोष है?

सभी नेता एक जैसे नहीं हैं। कुछ नेता ऐसे होते हैं जो देश की  सेना के प्रति उल्टी सीधी बात कर के मुफ्त की लोकप्रियता बटोरना चाहते हैं। ऐसे नेतों के  बयानों पर मीडिया को तरजीह नहीं देनी चाहिए।

आपके लिए सैन्य शौर्य का क्या अर्थ है और दुश्मन की परिभाषा में नागरिक का राष्ट्रीय धर्म क्या है?

कारगिल के बाद सैनिकों को तरजीह दी जा रही है। एक सैनिक का शौर्य ही उसे शोहरत दिलाता है। सैनिक का राष्ट्रीय धर्म दुश्मन को नेस्तानाबूद करना है।

आप हिमाचल और देश के प्रमाणित हीरो हैं, लेकिन आपका अपना नायक कौन है?

नेता जी सुभाष चंद्र बोस मेरे नायक हैं और प्रदेश में मेजर सोमनाथ शर्मा (परमवीर चक्र) को अपना हीरो मानता हूं।

हिमाचली युवाओं को सेना-पुलिस में भर्ती करवाने के पीछे आपका उद्देश्य और सोच क्या है?

सेना-पुलिस में अच्छे सिपाही तैयार कर  भेजना ताकि देश व प्रदेश की सुरक्षा में वे अपना  रोल अच्छा कर सकें। देश का सिपाही अच्छा और सतर्क होगा, तो देश उतना ही सुरक्षित होगा। बस इसी उद्देश्य को लेकर इस अभियान को चला रहा हूं।

आपके अनुसार सेना-पुलिस भर्ती के लिए युवाओं को किन तीन प्रमुख बिंदुओं पर गौर करना होगा?

प्रथम देश व प्रदेश के युवाओं को नशे से दूर रखना, शारीरिक तौर पर मजबूत बनाना व रोजगार  दिलवाना तथा उन्हें क्रप्शन से दूर रहने के लिए प्रेरित करना।

हिमाचली युवाओं की क्षमता का आप कैसे मूल्यांकन करते हैं, उनकी शिक्षा व शारीरिक शिक्षा में कहां कमी दिखाई देती है?

हिमाचली शारीरिक तौर पर मजबूत होते हैं। दिमाग से भी तेज होते हैं। हर  पल नया करने की सोच रखते हैं। इन में देश की रक्षा करने का जज्बा रहता है इस लिए पूरे देश में  हिमाचल प्रथम स्थान पर है, जिसके पास चार परमवीरचक्र हैं। यही कारण है कि हिमाचल को देवभूमि के साथ-साथ वीर भूमि भी कहा जाता है।

कोई सपना जिसे आप पूरा करने के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं?

हमारे प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा में स्टाफ की बहुत कमी है, जिस पर सरकार को गौर करना चाहिए। यदि शिक्षा में हमारी नींव ही कमजोर है, तो आगे की पढ़ाई में बच्चे कैसे कामयाब हो सकते हैं।

कोई सुझाव, जो समाज को बदल दे।  भारतीय नागरिक किस भूमिका को भूल गया?

अपने इतिहास का, संस्कृति को, अपने देश के प्रति वफादारी को और देश को सर्वोपरि मान कर और युवाओं में देश प्रेम जगाकर हम समाज को बदल सकते हैं। देश में वर्तमान माहौल इसी लिए है कि भारतीय नागरिक देश धर्म को भूल गया है।

आपके लिए जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि, संतोष व सामर्थ्य क्या है?

देश की रक्षा करने का मौका मिला, नया जीवन मिला, देश के राष्ट्रपति से शौर्यचक्र सम्मान मिला, जिस का कोई मोल नहीं और अब देश के युवाओं को देश के  लिए तैयार कर रहा हूं, ताकि वे देश के लिए कुछ कर सकें। यह मेरे लिए गर्व के साथ संतोष की भी बात है।

आपको ऊर्जा कैसे हासिल होती है। निजी दिनचर्या कैसे चलती है?

जब देश के लिए युवाओं को तैयार करता हूं , समाज में वृद्धों की सेवा करता हूं और आगनबाड़ी में जा कर नन्हे बच्चों से रू-ब रू होता हूं, उन्हें देश के लिए  आगे बढ़ने को प्रेरित करता हूं, तो खुद को ऊर्जावान महसूस करता हूुं। निजी दिनचर्या भी समाजसेवा में ही गुजरती है।

कैप्टन सुशील जरियाल के लिए भी मनोरंजन का कोई साधन है। किस तरह खुद को प्रफुल्लित रखते हैं?

कोई मेरी वजह से आगे बढ़े और वह भी देश के लिए कुछ करे, मेरे लिए यही मेरा मनोरंजन है। मैं अपने मकसद में कामयाब हो रहा हूं, यहि मेरा आमोद-प्रमोद है। यही सब मुझे खुशी देता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App