हिमालयन जैव विविधता पर मंथन

By: Mar 24th, 2018 12:05 am

सोलन – भारत सरकार का पर्यावरण वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडी के तहत भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग के हाई अल्टीट्यूट स्टेशन सोलन में हिमालय में पाई जाने वाली जैव विविधता पर तीन दिवसीय कैपासिटी बील्डिंग वर्कशॉप शुक्रवार को शुरू हुई। इसका उद्घाटन भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (जेडएसआई) कोलकाता के निदेशक डा. कैलाश चंद्रा ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए डा. चंद्रा ने कहा कि देश के करोड़ों लोगों का जीवन हिमालय पर निर्भर है। हिमालय में पाई जाने वाली जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन को लेकर भारत सरकार का पर्यावरण वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तत्वावधान में अंब्रेला प्रोग्राम चल रहा है। यह प्रोग्राम देश के पांच राज्यों हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्कम, पश्चिम बंगाल और अरूणाचल प्रदेश में चल रहा है। अप्रैल 2016 से शुरू हुआ यह प्रोग्राम तीन वर्षों तक हिमालयन रीजन में पाई जाने वाली जैव विविधता की मॉनेटरिंग करेगा। इसी कड़ी में सोलन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डा. चंद्रा ने कहा कि इससे यह पता चल पाएगा कि हिमालय में मौजूद लोरा व फौना की वर्तमान में क्या स्थिति है और भविष्य में उसकी स्थिति में किस प्रकार का परिवर्तन आ रहा है। हिमालय में लोरा और फौना की कौन सी ऐसी प्रजातियां हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर है या विलुप्त हो चुकी है। हिमालयन जैवविविधता की किस प्रकार लांग टर्म मॉनेटरिंग हो, इस पर देशभर के वैज्ञानिक सोलन में तीन दिन तक चर्चा करेंगे। साथ ही यहां होने वाली चर्चा को दो विभाग भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (जेडएसआई), भारतीय बॉटेनिकल सर्वे आफ इंडिया (बीएसआई) 26 अप्रैल को देहरादून में होने वाली बुक प्रोटोकॉल में भी शामिल करेगा। देश के जाने माने मेडिसनल प्लांट विशेषज्ञ व नौणी यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डा. एनएस चौहान ने कहा कि हिमालयन रीजन मेडिसनल प्लांट प्रचूर मात्रा में मौजूद है, जो हमारी धरोहर है। इसका संरक्षण करना नितांत आवश्यक है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App