14 अप्रैल को खुलेंगे चूड़धार के कपाट

By: Mar 17th, 2018 12:05 am

संगड़ाह – सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह तथा शिमला के चौपाल सब-डिवीजन के अंतर्गत आने वाले प्रदेश के प्रमुख आस्था स्थल शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार के कपाट आगामी 14 अप्रैल को खुलेंगे। परंपरा के अनुसार देवता के पुजारी द्वारा बैसाखी पूजन किए जाने के बाद ही मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं अथवा आम लोगों के लिए खुलते हैं। अक्तूबर माह में पहले हिमपात के बाद बंद होने वाले शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट खुलने पर ही देवता में आस्था रखने वाले जिला सिरमौर व शिमला के श्रद्धालु यहां यात्रा अथवा दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। पिछले कुछ वर्षों से शहरी इलाकों के विभिन्न संस्थानों के छात्रों अथवा अन्य लोगों द्वारा चूड़धार चौटी के बर्फ से ढके रहने के दौरान यहां ट्रैकिंग किए जाने की परंपरा शुरू की गई है जो काफी जोखिम भरा काम है। गत वर्ष जहां मंदिर के कपाट बंद होने के दौरान चूड़धार जा रहे एक व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है, वहीं कई लोग यहां बर्फ से रास्ते बंद होने के दौरान रात भर जंगल में फंस चुके हैं। चौपाल व संगड़ाह के प्रशासनिक अधिकारियों, चूड़ेश्वर सेवा समिति सदस्यों तथा चूड़धार आश्रम के संचालक ने आम लोगों से इन दिनों चूड़धार की यात्रा का जोखिम उठाने की अपील की है। शुक्रवार को भी चोटी पर हल्की बर्फबारी हो चुकी है। बार-बार मंदिर समिति अथवा प्रशासन की एडवाइजरी के बावजूद कुछ लोग चूड़धार की यात्रा कपाट बंद होने के दौरान करने का जोखिम उठा रहे हैं, जिससे मंदिर समिति से जुड़े लोगों को भी दिक्कतें आ रही हैं। पोल कहलाने वाले मंदिर के द्वार बंद होने पर मान्यता के अनुसार यात्रा निष्फल रहती है। चूड़ेश्वर सेवा समिति द्वारा कपाट खुलने के बाद मई माह से यहां भंडारे व ठहरने की व्यवस्था की जाती है। छह माह तक आम लोगों के लिए खुलने वाले इस मंदिर में हर साल एक लाख से अधिक श्रद्धालु अथवा पर्यटक पहुंचते हैं तथा भंडारे का औसतन खर्चा 14 लाख के करीब बताया जाता है। चूड़ेश्वर सेवा समिति के अध्यक्ष बलदेव चौहान तथा सलाहकार सुनील कमल ने बताया कि आगामी आठ अप्रैल को सेवा समिति की आम सभा की बैठक चौपाल उपमंडल के धबास में होगी, जिसमें मंदिर परिसर में भंडारे व अन्य विकास एवं निर्माण कार्यों पर चर्चा होगी।


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