असीमानंद समेत पांचों आरोपी बरी

By: Apr 17th, 2018 12:12 am

हैदराबाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट पर 11 साल बाद फैसला

नई दिल्ली— हैदराबाद की प्रसिद्ध मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट मामले में 11 साल बाद सोमवार को फैसला सुनाया गया। इस मामले में विशेष एनआईए अदालत ने स्वामी असीमानंद समेत सभी पांच आरोपियों देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भारत भाई और राजेंद्र चौधरी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इसी बीच एनआईए ने कहा है कि विशेष अदालत के इस फैसले को वह उच्च न्यायालय में चुनौती देगी। सोमवार को फैसला सुनाने के लिए आरोपी असीमानंद को नमापल्ली कोर्ट में लाया गया था। आरएसएस के पूर्व प्रचारक स्वामी असीमानंद इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक थे। 18 मई, 2007 को हुए इस ब्लास्ट में नौ लोग मारे गए थे, जबकि 58 घायल हुए थे। बाद में प्रदर्शनकारियों पर हुई पुलिस फायरिंग में भी कुछ लोग मारे गए थे। आपको बता दें कि एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने केस की सुनवाई पूरी कर ली थी। इस मामले में 10 आरोपियों में से आठ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। जिन आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई थी, उनमें से स्वामी असीमानंद और भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भरत भाई जमानत पर बाहर हैं और तीन लोग जेल में बंद हैं। मस्जिद ब्लास्ट मामले में दो और मुख्य आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसंगरा अब भी फरार चल रहे हैं, जबकि एक की मौत हो चुकी है। 2007 में हुए इस ब्लास्ट की शुरुआती छानबीन पुलिस ने की थी। फिर यह केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में 2011 में यह मामला एनआईए को सौंपा गया। इस मामले में कुल 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे, जिनमें से 54 गवाह मुकर चुके हैं।  इस पूरी सुनवाई के दौरान 226 गवाहों से पूछताछ हुई और 411 कागजात पेश किए गए।  उधर, स्वामी असीमानंद समेत सभी पांच आरोपियों के बरी हो जाने पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसको लेकर एनआईए पर हमला बोला है। ओवैसी ने जांच एजेंसी्न को बहरा और अंधा तोता करार देते हुए केस में राजनीतिक दखल का आरोप लगाया। दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी जांच एजेंसी पर सवाल उठाए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सभी जांच एजेंसियां केंद्र सरकार की कठपुतली बन गई हैं। इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में हो। उन्होंने कहा कि एनआईए भाजपा सरकार के अंडर काम करती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि वह ट्रायल कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। यहां आगे फिर से अपील की जा सकती है। इस मामले में दर्जनों गवाह अपने बयान से मुकर गए। इस पर सवाल तो खड़े होते ही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। ओवैसी का सवाल चिंता तो पैदा करता ही है। वहीं, भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ने को लेकर पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को निशाने पर लिया। उन्होंने चिदंबरम पर केस दर्ज करने की मांग की है। सभी आरोपियों के बरी होने के बाद एनआईए भी सवालों के घेरे में हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर ब्लास्ट के पीछे फिर कौन था और इसमें मारे गए नौ लोगों की हत्या का असली गुनहगार कौन है।

फैसला सुनाने के बाद जज ने दिया इस्तीफा

हैदराबाद — हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने के कुछ ही घंटों बाद स्पेशल एनआईए कोर्ट के जज रविंदर रेड्डी ने इस्तीफा दे दिया है। रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को अपना इस्तीफा भेजा है। उन्होंने इस्तीफे के पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। इसी बीच एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जज के इस्तीफे पर हैरानी जताई है।

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