आप श्रद्धा दें, पितर शक्ति देंगे

By: Apr 14th, 2018 12:11 am

-गतांक से आगे…

वैसे हो सके, तो उनसे देव स्तर का सहयोग प्राप्त करके जीवन को अधिक समृद्ध, सार्थक एवं सफल बनाया जा सकता है। दिव्य प्रेतात्मा से कभी-कभी किन्हीं-किन्हीं का सीधा संबंध उनके पूर्वजन्मों के स्नेह सद्भाव के आधार पर हो जाता है। कई बार वे उपयुक्त सत्पात्रों को अनायास ही सहज उदारतावश सहायता करने लगते हैं, किंतु ऐसा भी संभव है कि कोई व्यक्ति अपने आपको साधना द्वारा प्रेतात्माओं का कृपा पात्र बना ले और अपने साथ अदृश्य सहायकों का अनुग्रह जोड़कर अपनी शक्ति को असामान्य बना ले एवं महत्त्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त करने का पथ-प्रशस्त करें। पितरों के अनेक वर्ग हैं और देवसत्ताओं की ही तरह उनके क्रियाकलापों के क्षेत्र भी भिन्न-भिन्न हैं। प्रत्यक्ष मार्गदर्शन, गूढ़ संकेत, दिव्य प्रेरणाएं तथा आकस्मिक सहायताएं उनसे उपलब्ध होती हैं। विपत्ति से त्राण पाने, सन्मार्ग पर अग्रसर होने और मानवीयता के क्षेत्र को विस्तृत करने, सामाजिक प्रगति का पथ प्रशस्त करने में उनके दिव्य-अनुदान देवी वरदान बनकर सामने आ सकते हैं। सूक्ष्म शक्तियों के रूप में वैसे भी वे क्रियाशील रहते ही हैं और अनीति-अत्याचार-अन्याय के क्रम को आकस्मिक अप्रत्याशित रीति से उलट देने की चमत्कारी प्रक्रिया कई बार उनके अनुग्रह से ही संपन्न हुआ करती है। ऐसे श्रेष्ठ पितर सचमुच श्रद्धा-भाजन हैं। इस संदर्भ में एक नया पक्ष और भी है। वह यह है कि जीव सत्ता अपनी संकल्प शक्ति का एक स्वतंत्र घेरा बनाकर खड़ा कर देती है और जीव को अन्य जन्म मिलने पर भी वह संकल्प सत्ता उसका कुछ प्राणांश लेकर अपनी एक स्वतंत्र इकाई बना लेती है। और इस प्रकार बनी रहती है, मानो कोई दीर्घजीवी प्रेत ही बनकर खड़ा हो गया हो।

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